नई दिल्ली: दीदी के अंदाज और तेवर से सभी वाकिफ हैं. ममता बनर्जी अक्सर भाजपा पर हमलावर रहती हैं. भाजपा को घेरने का एक भी मौका नहीं छोड़तीं. ऐसा कम ही होता है, जब वह अपने मंत्रियों और अफसरों पर बरसती हैं. मगर बीते दिनों ममता का एक अलग ही रूप दिखा. ममता का यह बदला रूप देख उनके जानने वाले भी चौंक गए. ममता बनर्जी के इस बदले अंदाज में लालू की स्टाइल और मोदी वाला अप्रोच दिखा. जी हां, बीते दिनों ममता बनर्जी ने अपने ही मंत्रियों और अफसरों की जमकर क्लास लगा दी. उन्होंने मंत्रियों, टीएमसी नेताओं से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों को भरी बैठक में खूब सुनाया. पश्चिम बंगाल में करीब-करीब हर जगह नागरिक सुविधाओं की कमी को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंत्रियों, विधायकों और नौकरशाहों से सवाल किया कि क्या उन्हें (ममता बनर्जी) अब राज्य की सड़कों पर झाड़ू लगाने के लिए उतरना होगा?
ममता बनर्जी ने अपने ही मंत्रियों और प्रशासनिक कामकाज की अब तक की सबसे तीखी आलोचना की. और वह भी पब्लिकली यानी बैठक में सबके सामने. ममता बनर्जी ने सभी को 10 दिन का अल्टीमेटम दिया है. ममता ने साफ तौर पर कह दिया कि या तो वे अपने काम में सुधार करें या फिर काम से हट जाएं. ममता के निशाने पर मंत्रियों से लेकर नौकरशाहों, नगर पालिकाओं से लेकर राज्य शहरी विकास विभाग, पुलिस से लेकर जिला प्रमुखों तक, सभी थे. ममता बनर्जी का यह रूप तब दिखा, जब वह सोमवार को इन सभी का रिपोर्ट कार्ड देख रही थीं. ममता बनर्जी ने नगर निकाय प्रमुखों, मंत्रियों, विधायकों और सीनियर अफसरों को कहा कि ‘आज बोलने की बारी मेरी और आपकी केवल सुनने की.’
दीदी ने नेताओं-अफसरों को खूब सुनाया
दरअसल, ममता बनर्जी मुख्य रूप से राज्य में विभिन्न नगर निकायों के प्रदर्शन की समीक्षा के लिए राज्य सचिवालय में एक बैठक की अध्यक्षता कर रही थीं. इसी दौरान नेताओं, मंत्रियों और अफसरों के कामकाज से नाराज ममता बनर्जी ने एक मंत्री, टीएमसी के एक पूर्व महापौर और कुछ नौकरशाहों को उनके ‘औसत से कमतर प्रदर्शन’ के लिए फटकार लगाई. उन्होंने कहा, ‘क्या मुझे अब सड़कों पर झाड़ू लगाने के लिए बाहर जाना होगा? आप हमेशा आसमान की ओर देखते हुए नहीं चल सकते; आपको नीचे भी देखना होगा. कोई भी सड़कों और स्ट्रीट लाइट की स्थिति नहीं देखता. वे सिर्फ टैक्स बढ़ा रहे हैं और लोगों की तैनाती कर रहे हैं और पुलिस और (नागरिक) प्रशासन, दोनों ही कुछ नहीं कर रहे हैं.’
जीने के लिए कितने पैसे चाहिए?
ममता बनर्जी ने कहा, ‘आपको अच्छी जिंदगी जीने के लिए कितने पैसे चाहिए. आप बड़ी कार में चलते हैं, अच्छे रेस्टोरेंट में खाते हैं, मगर सबसे पहले आप लोगों के बारे में सोचिए. सरकार कुछ व्यक्तियों के कृत्यों के लिए बदनामी नहीं लेगी. मुझे जबरन वसूली करने वाले अफसर नहीं चाहिए. मुझे लोगों के सेवक चाहिए. अगर वे काम नहीं कर सकते, तो उन्हें हट जाना चाहिए. आने वाले दिनों में केवल लोगों के लिए काम करने वालों को ही टिकट (चुनाव लड़ने के लिए) मिलेगा.’ ममता बनर्जी ने यह भी कहा कि नगर निकाय अधिकारियों के प्रदर्शन की समीक्षा सतर्कता विभाग के अफसरों, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून और व्यवस्था), एक अतिरिक्त पुलिस आयुक्त, सीआईडी के अधिकारियों और सुरक्षा निदेशक की एक टीम द्वारा की जाएगी.
ममता ने तो मंत्रियों का नाम भी ले लिया?
ममता ने अग्निशमन और आपातकालीन सेवा मंत्री सुजीत बोस का नाम लिया. उन्हें कोलकाता के पास राजारहाट इलाके में अतिक्रमण के लिए जिम्मेदार ठहराया. यहां बताना जरूरी है कि ममता के पास भूमि और भूमि राजस्व विभाग भी है. उन्होंने हावड़ा के पूर्व महापौर रथिन चक्रवर्ती का भी नाम लिया, जो टीएमसी से भाजपा में शामिल हो गए हैं. उन पर कोलकाता के पड़ोसी शहर को बर्बाद करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, ‘रथिन चक्रवर्ती ने महापौर रहते हुए हावड़ा को बर्बाद कर दिया. (राज्य सचिवालय) नबन्ना के पास अवैध इमारतें बन गई हैं. पुलिस और इसमें शामिल हर व्यक्ति ने इस पर आंखें मूंद ली हैं. क्या मुझे हर चीज का ध्यान रखना होगा?’
ममता में लालू की स्टाइल और मोदी वाला अप्रोच
ममता बनर्जी ने यह भी कहा कि उन्हें पता है कि टीएमसी के कई नेता, नौकरशाहों का एक वर्ग और पुलिस अवैध तरीकों से धन जुटाने में शामिल है. ममता जब नेताओं और अफसरों को क्लास लगा रही थीं तो उनके इस बदले तेवर को देख सभी चौंक गए. ममता ने जिस तरह से अफसरों-नेताओं को हड़काया, वह बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव की यादव दिलाता है. आम आदमी की खातिर लालू यादव भी अपने समय में अफसरों-नेताओं को ऐसे ही हड़काते थे. जहां मन होता था लालू यादव वहां अफसरों और नेताओं की क्लास लगा देते थे. ममता के इस लेटेस्ट एक्शन में भी लालू वाली स्टाइल दिखी. ममता का ये तेवर पीएम मोदी के अप्रोच से भी मिलता-जुलता है. पीएम मोदी भी समय-समय पर अफसरों और नेताओं के कामकाज की समीक्षा करते हैं और उन्हें समझाते हैं, कामकाज का मंत्र भी देते हैं और फटकारते भी हैं.
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FIRST PUBLISHED : June 27, 2024, 06:00 IST