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जमीन पर नहीं पानी में रहता है यह मुर्गा, होता है एक नंबर तैराक, नाम है ‘वॉटर कॉक’

हजारीबाग. मानसून महीने के आगमन के साथ ही कई प्रकार के जरिए जीव जंतु हजारीबाग झील में देखे जा रहे हैं. मानसून के आगमन के झील में कई पानी वाले मुर्गा देखने को मिलता है. ये एक प्रकार से पंक्षी की प्रजाति है. जो पानी पर रहना पसंद करता है. और पानी के ऊपर घोंसला बना कर अंडे देता है. ये पंछी देखने में काफी सुंदर होता है. जिस कारण बर्ड वाचर और फोटोग्राफर इसपर नजर बनाए रखते है.

वाटर कॉक का ये भी है नाम
इस विषय में हजारीबाग के पर्यावरणविध मुरारी सिंह बताते है कि मानसून के आगमन के कई वाटर कॉक देखे जा रहे है. इसे जलमुर्गा और मूरहेन के नाम से भी जाना जाता है. यह पंक्षी सामान्य तौर पर साल भर पानी के अगल-बगल के क्षेत्र में देखे जाते हैं लेकिन मानसून के महीने की शुरुआत के साथ ही वाटरकॉक अधिक संख्या में जलाशय में पाए जाते है.

उन्होंने आगे बताया कि ये पंछी एक साथ पानी के ऊपर घोसला बनाकर तीन से चार अंडे देती है अंडे से बच्चे बनने का पूरा पीरियड 21 से 22 दोनों का होता है. अंडों से चूजा निकालने के पश्चात यह बच्चे एक से दो घंटे बाद ही पानी में चले जाते हैं. उनके बच्चे भी बहुत माहिर तैराक होते हैं.

शिकार करना है गैरकानूनी
मुरारी सिंह आगे बताते हैं कि कई लोग उसका शिकार कर इसका भोजन कर लेते हैं. इसके पीछे लोगों का यह तर्क होता है कि इसका मांस खाने से हड्डियों में दर्द को आराम मिलता है. ठंडक के दिनों में शरीर में गर्मी बढ़ता है. लेकिन इसका मांस खाना गैरकानूनी है. जल मुर्गी जलाशयों के लिए बहुत जरूरी है. यह जलाशयों में मौजूद छोटी-छोटी कीड़ों को अपना भोजन बनाकर फूड साइकिल को बनाए रखने में मदद करती है.

FIRST PUBLISHED : June 24, 2024, 16:18 IST

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