आशीष त्यागी/बागपत: जमालगोटा एक ऐसा पौधा है जो आयुर्वेद में गंजेपन, स्तंभन दोष, लंबे समय से चली आ रही कब्ज आदि के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है. जमालगोटा के पेड़ की ऊंचाई 15-20 फीट होती है, जो उत्तर-पूर्व और दक्षिण भारतीय राज्यों में पाया जाता है. इसके पत्ते 2-4 इंच लंबे, पतले, चिकने और 3 से 5 शिराओं वाले होते हैं. जमालगोटा के शुद्ध बीजों का पेस्ट गंजेपन का इलाज करने के लिए सिर पर लगाया जाता है. इसे प्रतिदिन लगाने से गंजापन ठीक हो जाता है.
जमालगोटा करे कब्ज का इलाज
इसके बीज पाउडर को 20-40 मिलीग्राम की खुराक में दिया जाता है जिससे जलोदर और गंभीर कब्ज की समस्या का इलाज होता है. एक्जिमा जैसे त्वचा रोगों के उपचार के लिए पेस्ट त्वचा पर लगाया जाता है. बवासीर में इसकी जड़ के पेस्ट को बाह्य रूप से उपयोग किया जाता है. पेस्ट को जमालगोटा या क्रोटन की जड़ों और छाछ के बारीक पाउडर का उपयोग करके बनाया जाता है. यह पेस्ट बाहरी बवासीर पर लगाया जाता है जिससे बाहरी बवासीर सिकुड़ और सूख जाती है. इससे सूजन कम हो जाती है और मरीज को बवासीर के सभी लक्षणों से राहत मिलती है. यह केवल गैर रक्तस्राव के बवासीर के लिए प्रभावी है.
इस पेस्ट को पानी और क्रोटन की जड़ की बाहरी छाल का उपयोग कर तैयार किया जाता है. इस पेस्ट को फोड़े पर लगाया जाता है. यह पेस्ट फफोले फोड़ने में मदद करता है. यह पाचन और अवशोषण को सही करता है. इसमें खून को साफ करने के भी गुण होते हैं. यह रस कफ रोगों में बहुत लाभप्रद होता है. पित्त के असंतुलन होने पर कटु रस पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए.
ऐसे करें उपयोग
शोधित बीजों को 6-12 mg की मात्रा में लिया जा सकता है. आंतरिक उपयोग के लिए तेल को एक बूँद की मात्रा में लिया जा सकता है.
नुकसान
जमालगोटा के बीज के तेल के गंभीर विरेचन के कारण कारण पेट में निर्जलीकरण और दर्द हो सकता है. उच्च एकाग्रता में लगाने पर तेल त्वचा में फफोले पैदा कर सकता है. इसलिए इसके इस्तेमाल के लिए अपने चिकित्सक की सलाह जरूर लें.
FIRST PUBLISHED : June 3, 2024, 20:38 IST