(रिपोर्ट: ओलिवर फ्रेड्रिक)
गाजीपुर. गिरधारी लाल 20 साल से उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में कब्रिस्तानों में कब्र खोद रहे हैं. लेकिन 30 मार्च जितना शायद ही किसी काम के दिन ने उन्हें इतना अधिक प्रेस और राजनीतिक ध्यान दिलाया हो. क्योंकि, यही वह दिन था जब उन्होंने बांदा जेल में बंद गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी की कब्र खोदी थी. कब्र खोदने वाले गिरधारी लाल ने न्यूज18 से बात करते हुए कहा कि ‘कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कौन हैं… चाहे आपके पास कोई भी डिग्री हो… चाहे आपने कितना भी पैसा कमाया हो… हम सभी को एक ही भाग्य का सामना करना पड़ेगा.’
गिरधारी लाल ने न्यूज18 से कहा कि ‘पैसा कमाने के लिए ऐसे शॉर्टकट क्यों चुनें जब हम सभी को एक ही भाग्य का सामना करना पड़ता है? अपराधी बनकर क्यों मरें? एक डॉक्टर, राजनेता या किसी अन्य क्षेत्र के व्यक्ति के रूप में क्यों नहीं?’ दिहाड़ी मजदूर ने कहा कि उसने कभी नहीं सोचा था कि वह एक दिन एक खूंखार गैंगस्टर की कब्र खोदेगा. गिरधारी लाल ने कहा कि ‘मैं एक दिहाड़ी मजदूर हूं. मैं कब्र खोदने का काम भी करता हूं क्योंकि मुझे लगता है कि यह समाज की सेवा करने का एक तरीका है. लेकिन मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह दिन आएगा जब मैं मुख्तार अंसारी की कब्र खोदूंगा.’
मुख्तार को मोहम्मदाबाद में दर्जी टोला में काली बाग कब्रिस्तान में दफनाया गया
मऊ सदर सीट से पांच बार विधायक रहे अंसारी 2005 से सलाखों के पीछे थे और उनके खिलाफ 60 से अधिक आपराधिक मामले लंबित थे. गुरुवार रात उनकी तबीयत बिगड़ने पर उन्हें रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज ले जाया गया. इलाज के दौरान अस्पताल में उनकी मौत हो गई. शनिवार को मुख्तार अंसारी को उनके परिवार के निवास से लगभग आधा किलोमीटर दूर गाजीपुर के मोहम्मदाबाद में दर्जी टोला में काली बाग कब्रिस्तान में दफनाया गया. गिरधारी लाल ने कहा कि पूर्व विधायक को उनके पिता सुभानुल्लाह अंसारी की कब्र से पांच फीट की दूरी पर दफनाया गया.
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कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह व्यक्ति अपराधी है या संत
मुख्तार अंसारी के लिए 7.6 फीट लंबी, 5 फीट गहरी और 5 फीट चौड़ी कब्र खोदने में गिरधारी लाल को लगभग छह घंटे लगे. उन्हें एक दिन के काम के लिए 500 रुपये मिलते हैं. अंसारी की कब्र खोदने में उनके साथ दो अन्य कर्मचारी नगीना और संजय कुमार भी शामिल थे. न्यूज18 से बात करते हुए संजय कुमार ने कहा कि उनसे अक्सर पूछा जाता है कि वह खुद हिंदू होते हुए कब्र क्यों खोदते हैं. इस पर गिरधारी लाल ने कहा कि ‘मेरा दृढ़ विश्वास है कि हम सभी एक ही हैं. अंत में, हम सभी को मिट्टी में ही लौटना होगा, चाहे दफ़नाना हो या दाह संस्कार. हम मृतकों को सभ्य अंतिम संस्कार देने का एक माध्यम मात्र हैं. मैं इसे बहुत पवित्र कार्य मानता हूं और मेरे लिए इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह व्यक्ति अपराधी है या संत.’
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FIRST PUBLISHED : March 30, 2024, 20:53 IST