नई दिल्ली: यूक्रेन जंग में अमेरिका और नाटो देश रूस को चौतरफा घेरने में लगे हैं. सभी रूस को अलग-थलग करना चाहते हैं. मगर रूस भी जिद्दी है. पुतिन हार मानने को तैयार ही नहीं. रूस ने तो अब अमेरिका को करारा जवाब देने का प्लान बना लिया है. पुतिन अब दुश्मन के दुश्मन को अपना दोस्त बना रहे हैं. जी हां, खोज-खोजकर अमेरिका के दुश्मनों से पुतिन अपनी यारी बढ़ा रहे हैं. चीन से लेकर ईरान और उत्तर कोरिया से लेकर वियतनाम, ये कुछ ऐसे देश हैं, जिनका अमेरिका से छत्तीस का आंकड़ा है. पुतिन अब इन्हीं देशों से अपनी यारी बढ़ा रहे हैं. पहले चीन की यात्रा, फिर 24 साल बाद उत्तर कोरिया का दौरा और वियतनाम जाना… पुतिन अमेरिका समेत पश्चिम ताकतों को दिखाना चाहते हैं कि जंग की घड़ी में रूस अकेला नहीं है. दुनिया के कई देश रूस के भी साथ है. अब सवाल उठता है कि आखिर अमेरिका के दुश्मनों संग यारी पुतिन की मजबूरी है या कोई बड़ा मकसद?
पूरी दुनिया जानती है कि नॉर्थ कोरिया, चीन, ईरान और वियतनाम…अमेरिका के जानी दुश्मन हैं. ये चार ऐसे देश हैं, जो अमेरिकी अथवा पश्चिम प्रतिबंधों की जरा भी चिंता नहीं करते. अगर अमेरिका से युद्ध की नौबत आए तो ये देश पीछे नहीं हटेंगे. यही वजह है कि यूक्रेन जंग में अलग-थलग पड़ते पुतिन अमेरिका के दुश्मनों को अपना बनाने में लगे हैं. चीन और अमेरिका की तनातनी से दुनिया वाकिफ है. पुतिन भी अपनी जरूरत में मौके का फायदा उठाना चाहते हैं. इसलिए पांचवीं बार राष्ट्रपति बनने के बाद पुतिन सीधे चीन गए. भले ही यूक्रेन जंग में चीन खुलकर रूस का साथ नहीं देता, मगर पर्दे के पीछे से वह खड़ा पुतिन के साथ ही है. चीन भले ही खुलकर रूस को हथियार नहीं देता, मगर कुछ खतरनाक टूल्स, मशीनरी और औजार मुहैया करा रहा है. इनका इस्तेमाल रूस यूक्रेन जंग के लिए कर रहा है. रूस का साथ न देने को लेकर चीन पर भी पश्चिम से काफी दबाव रहा है. यही वजह है कि पुतिन खुद बीजिंग गए ताकि चीन किसी तरह पश्चिमी देशों के दबाव में न आए. चीन का पहले की तरह रूस को समर्थन जारी रहे. रूस को यूक्रेन जंग से जो नुकसान हुए हैं, उसकी भरपाई के लिए भी पुतिन चीन पर ही निर्भर दिख रहे हैं.
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रूस की जरूरत
शी जिनपिंग की तरह ही उत्तर कोरिया का तानाशाह भी अमेरिका से जरा नहीं डरता. प्रतिबंधों की चिंता किए बगैर उत्तर कोरिया मिसाइलों का परीक्षण करता है. अभी यूक्रेन जंग में रूस बहुत नाजुक मोड़ पर खड़ा है. ऐसे में पुतिन को किम जोंग उन से बेहतर साथी कहां मिलता. यही वजह है कि पुतिन 24 साल बाद नॉर्थ कोरिया के दौरे पर गए. साथ ही किम जोंग उन को रिझाने लिए एक लग्जरी कार भी ले गए. उत्तर कोरिया से यारी बढ़ाने की रूस की सबसे बड़ी वजह है हथियारों की आपूर्ति. पुतिन उत्तर कोरिया से हथियार और गोला बारूद चाहते हैं. रिपोर्ट की मानें तो यूक्रेन जंग में तानाशाह किम ने पुतिन से दोस्ती निभाते हुई बड़ी संख्या में तोप और गोला-बारूद भेजे हैं. किम जोंग को इसके बाद रूसी तकनीक और मिसाइलों की जरूरत है.
मजबूरी या मकसद?
रूस और उत्तर कोरिया की यह यारी पुतिन की मजबूरी भी है और जरूरत भी. रूस और नॉर्थ कोरिया दोनों प्रतिबंधों की मार झेल रहे हैं. उन दोनों के पश्चिमी देशों संग रिश्ते एक ही जैसे हैं. पश्चिम देशों ने दोनों देशों पर एक जैसे ही चाबूक चलाए हैं. ऐसे में पुतिन और किम जोंग की यारी मजबूरी भी है और मौके की जरूरत भी. यूक्रेन जंग जिस मोड़ पर खड़ा है, ऐसे में रूस केवल अपने दम पर इसे बहुत लंबा अब नहीं खींच पाएगा. यूक्रेन जंग को लंबा चलाने के लिए उन्हें अपने सहयोगियों की जरूरत है और उनके साथ की भी. यही वजह है कि पुतिन चुन-चुनकर अमेरिका के दुश्मनों संग गलबहियां कर रहे हैं. अमेरिका समेत नाटो देशों के प्रेशर को कम करने के लिए ही पुतिन नॉर्थ कोरिया के बाद सीधे वियतनाम पहुंच गए. वियतनाम को भी अमेरिका का कट्टर दुश्मन माना जाता है. वियतनाम में कई दशकों तक अमेरिका सैनिकों का ठिकाना रहा. हालांकि, बीते कुछ समय से अमेरिका वियतनाम से अपने रिश्ते सुधारने की दिशा में आगे बढ़ रहा है.
दुश्मन का दुश्मन अपना दोस्त
यही वजह है कि रूस वियतनाम पर डोरे डाल रहा है. पुतिन ऐसे वक्त में वियतनाम दौरे पर गए हैं, जब यूक्रेन शांति समिट से वियतनाम अलग रहा था. वियतनाम ने यूक्रेन शांति समिट से अलग होकर एक तरह से रूस का साथ दिया था. जबकि वियतनाम रूस में आयोजित ब्रिक्स समिट में गया था. ठीक उसी तरह जैसे चीन और पाकिस्तान ने भी इस समिट से किनारा किया था. भारत तो समिट में गया था, मगर शांति दस्तावेज पर सिग्नेचर नहीं करके रूस का साथ दिया था. रूस अमेरिका के एक और दुश्मन को साधना चाहता है. नाम है ईरान. ईरान और अमेरिका की दुश्मन भी जगजाहिर है. इजरायल के खिलाफ ईरानी हमले के वक्त भी पुतिन ने ईरान का बचाव किया था. पुतिन ने यहां तक कह दिया था कि अगर ईरान-इजरायल में जंग हुई तो वह ईरान का साथ देगा. वहीं, जब ईरानी राष्ट्रपति का निधन हुआ तो रूस ने सच्चा दोस्त कहकर श्रद्धांजलि दी थी. ईरान पर भी यूरोपीय देशों के कई प्रतिबंध हैं. यही वजह है कि यूक्रेन जंग के बाद से ही ईरान रूस को सैन्य सहयोग दे रहा है. मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जाता है कि ईरान ने आधुनिक हथियारों के साथ-साथ रूस को ड्रोन भी दिए हैं.
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FIRST PUBLISHED : June 20, 2024, 11:23 IST