चंडीगढ़ में आयोजित ‘ट्राईसिटी पेरिनेटोलॉजी मीट-2024’ में विशेषज्ञों ने जेनेटिक्स और फीटल मेडिसिन पर चर्चा की
पंजाब मेडिकल काउंसिल द्वारा आयोजित ‘ट्राईसिटी पेरिनेटोलॉजी मीट-2024’ में उत्तर भारत के लगभग 100 विशेषज्ञों ने जेनेटिक्स, फीटल मेडिसिन और हाई रिज़ोल्यूशन अल्ट्रासाउंड जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर मंथन किया। यह कार्यक्रम चंडीगढ़ के सेक्टर-35 में हुआ, जिसमें डॉक्टरों ने गर्भावस्था से जुड़ी सावधानियों और दुर्लभ बीमारियों पर चर्चा की।
ऑर्गेनाइजेशन ऑफ रेयर डिजीज इन इंडिया के अनुसार, दुनियाभर में 7,000 से अधिक दुर्लभ बीमारियों की पहचान हो चुकी है, और भारत में हर 20 में से एक व्यक्ति किसी न किसी गंभीर बीमारी का शिकार होता है। इनमें से 80 प्रतिशत मामले जेनेटिक दोष के कारण होते हैं।
जेनेटिक डिफेक्ट्स से बचने के लिए सावधानियां
डॉ. हरप्रीत ने बताया कि भारत में 100 में से 2 बच्चों को जेनेटिक डिफेक्ट्स होते हैं, लेकिन सभी प्रेगनेंसी को टर्मिनेट करना आवश्यक नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि किसी परिवार में जेनेटिक बीमारियों का इतिहास हो, तो प्रेगनेंसी प्लान करने से पहले विशेषज्ञ से काउंसलिंग करानी चाहिए। इसके अलावा, गर्भावस्था के दौरान 20 सप्ताह से पहले जेनेटिक स्क्रीनिंग जरूरी है, ताकि किसी भी बर्थ डिफेक्ट का समय पर पता लगाया जा सके।
भविष्य में बीमारियों का पता लगाने के उपाय
डॉ. हरप्रीत ने यह भी कहा कि जेनेटिक टेस्टिंग से 10-15 साल पहले डायबिटीज, कैंसर और हाइपरटेंशन जैसी बीमारियों का पता लगाया जा सकता है। दंपत्ति फैमिली प्लानिंग से पहले अपनी जीन्स की टेस्टिंग कराकर यह जान सकते हैं कि उनके बच्चों को किन बीमारियों का खतरा हो सकता है।
अल्ट्रासाउंड और समय पर जांच का महत्व
डॉ. हरप्रीत ने अल्ट्रासाउंड के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि गर्भावस्था के शुरुआती दौर में कंफर्मेटरी अल्ट्रासाउंड कराना चाहिए। उन्होंने 11 से 14 सप्ताह के बीच और फिर 19 से 20 सप्ताह के बीच अल्ट्रासाउंड की अहमियत बताई।