आशीष त्यागी/बागपत: गन्ना बेल्ट कहे जाने वाले बागपत में गन्ने की फसल में कंसुआ और गन्ना छेदक कीट लगने से किसान परेशान हैं. यह एक ऐसा कीट है जो तेजी से फसल को खराब करता है. समय रहते इसका उपचार न किया गया तो यह फसल को भारी नुकसान पहुंचाता है और किसान की उत्पादक क्षमता घटती है. गन्ने में लगने वाले यह दोनों कीट किसानों के लिए सिर दर्द बने हुए हैं.
कृषि वैज्ञानिक देव कुमार, कृषि विज्ञान केंद्र खेकड़ा ने जानकारी देते हुए बताया कि कंसुआ और गन्ना छेदक कीट फसल को बहुत तेजी से प्रभावित करते हैं. पहले किसानों को कंसुआ और गन्ना छेदक कीट के बारे में जानकारी होनी चाहिए. कंसुआ एक ऐसा रोग है, जिसमें गन्ने के बीज की पत्ती सूख जाती है और मात्र हाथ लगाने से ही पत्ती गन्ने से बाहर निकल आती है. यह एक गंभीर रोग है, जिससे किसानों को समय पर इसका उपचार करना चाहिए.
गन्ना छेदक भी कुछ इसी तरह का कीट है. इसमें भी पत्ती सूखती हैं लेकिन पत्ती जल्दी से टूटती नही हैं. इन दोनों रोगों की किसान खेत में पहचान करें और इससे प्रभावित पौधे को तोड़कर या काटकर खेत से बाहर निकाल कर दबा दें और इस पर कीटनाशक का स्प्रे करें, जिससे यह बीमारी रुक जाएगी. इससे किसान के गन्ने की उत्पादन क्षमता बढ़ जाएगी.
इन दवाईयो का करें छिड़काव
गन्ना छेदक कीट से प्रभावित खेत में 5 प्रतिशत नीम आधारित कीटनाशक या नीम तेल या एचएनपीवी 1.0 मिली/ली. का कीट पर छिड़काव करना चाहिए. वही कंसुआ से प्रभावित पौधे पर प्रापिकानाजोल दवा का छिड़काव करना चाहिए. एक एकड़ में छिड़काव के लिए 200ML दवा को 250 लीटर पानी में मिलाकर घोल बनाएं. इससे गन्ने से कीट तेजी से हटेगा और गन्ने की उत्पादन क्षमता बढ़ेगी. कृषि वैज्ञानिक देव कुमार ने बताया कि किसान समय-समय पर अपनी फसल में सिंचाई करते रहें. 7 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें. अगर कोई भी कीट गन्ने की फसल में दिखाई दे तो इसके लिए तुरंत उपचार करें और किसी भी प्रकार की नि:शुल्क जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केंद्र में संपर्क करें.
FIRST PUBLISHED : June 20, 2024, 21:31 IST