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गढ़वाल लोकसभा सीट: कांग्रेस के जमाने से भाजपा का गढ़, सेंधमारी लगभग असंभव!

गढ़वाल संसदीय सीट सैनिक बाहुल्य है. यहां के लगभग हर घर से एक सैनिक है. ठाकुर बाहुल्य इस सीट पर इस बार के चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियों ने ब्राह्मण उम्मीदवार उतारा है. इस सीट पर कांग्रेस मुख्यत: अंकिता भंडारी मर्डर केस को मुद्दा बना रही है. कांग्रेस का कहना है कि अंकिता मर्डर केस में पुलिस वीवीआईपी का खुलासा नहीं कर रही है. क्योंकि ये वीवीआईपी बीजेपी से जुड़ा कोई बड़ा नाम हो सकता है. पलायन भी यहां एक मुददा है. पौड़ी वो सीट है जहां सबसे अधिक पलायन हुआ है. यहां घोस्ट विलेज की संख्या भी सबसे अधिक है. मंडल मुख्यालय पौड़ी में पानी की किल्लत भी बड़ा मुद्दा है.

दूसरी ओर बीजेपी विकास को मुद्दा बना रही है. बीजेपी का कहना है कि पिछले 10 सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अभूतपूर्व विकास हुआ है. 2013 की आपदा के बाद तहस नहस हो चुके केदारनाथ का पुर्ननिर्माण कराया गया है, तो बद्रीनाथ धाम का भी काया कल्प हो गया है. चारधाम रोड प्रोजेक्ट के तहत चारधाम को जाने वाली सड़कें बेहतर हुई हैं. ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक रेल पहुंचाने का भी काम हो रहा है. बीजेपी का कहना है कि ये रेल प्रोजेक्ट पूरे गढ़वाल और उत्तराखड़ के विकास में मील का पत्थर साबित होगा.

मैदान में दिग्गज
बीजेपी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी को गढ़वाल से टिकट मिलने के बाद इस पर सबकी निगाहें गड़ी हुई हैं, वहीं दूसरी और कांग्रेस ने इस सीट पर अपने सबसे काबिल नेता और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल को मैदान में उतारा है.

आजादी के बाद देश में पहली बार 1952 में हुए लोकसभा चुनाव के साथ ही गढ़वाल सीट अस्तित्व में आ गई थी. इस सीट पर साल 1952 से 1977 तक लगातार कांग्रेस का ही कब्जा रहा. इसके अंतर्गत 14 विधानसभा सीटें आती हैं जो उत्तराखंड के पांच जिलों चमोली, पौड़ी, नैनीताल, रुद्रप्रयाग और टिहरी गढ़वाल में फैली हुई हैं.

इस सीट पर 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के तीरथ सिंह रावत को बड़ी जीत मिली थी, लेकिन इस बार बीजेपी ने उनका टिकट काटकर अनिल बलूनी को मैदान में उतारा है. वहीं कांग्रेस ने भी इस सीट पर अपने पिछले उम्मीदवार मनीष खंडूरी का टिकट काट गणेश गोदियाल को उतारा है. इस सीट का इतिहास काफी रोचक है. खास तौर पर पौड़ी की बात की जाए तो इस धरती ने पांच मुख्यमंत्री दिए. देश के बड़े पदों पर भी पौड़ी का दबदबा है. देश के पहले सीडीएस बिपिन रावत हों या फिर अजीत डोबाल सभी पौड़ी से ताल्लुक रखते हैं. वर्तमान सीडीएस अनिल चौहान भी पौड़ी के रहने वाले हैं.

तीरथ सिंह रावत ने 2019 के लोकसभा चुनाव में अपने प्रतिद्वंदी मनीष खंडूरी को भारी मतों से हराया था. इससे पहले 2014 में चुनाव पर पूर्व मुख्यमंत्री रहे भुवनचंद खण्डूरी ने हरक सिंह को इस सीट से पटकनी दी थी.

गढ़वाल सीट का इतिहास
1952 से 1971 तक भक्त दर्शन सिंह
1971 से 1977 तक प्रताप सिंह नेगी
1977 से 1980 तक जगन्नाथ शर्मा
1980 से 1984 तक हेमवंती नन्दन बहुगुणा
1984 से 1991 तक चन्द्र मोहन नेगी
1991 से 96 तक भुवन चन्द्र खण्डूरी
1996 से 98 तक सतपाल महाराज
1998 से 2007 तक भुवन चन्द्र खंडूरी

2011 की गणना के अनुसार गढ़वाल संसदीय सीट में करीब 14 लाख मतदाता हैं. इस सीट में बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम के साथ हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा भी आता है. यह सीट सैनिक बाहुल्य है. इस बार मुकाबला दिलचस्प होने वाला है. 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर डालें तो यहां से बीजेपी के तीरथ सिंह रावत ने 5 लाख 6 हजार 980 वोट हासिल कर जीत का परचम लहराया था. कांग्रेस के मनीष खंडूरी 2 लाख 04 हजार 311 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर थे. 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने इस लोकसभा क्षेत्र की 14 में से 13 सीटों पर जीत का परचम लहराया था. मात्र बद्रीनाथ सीट पर कांग्रेस जीती थी.

Tags: Loksabha Election 2024, Loksabha Elections

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