बंटवारे से पहले इंजमाम के पिता और उनके परिवार के लोग हिसार के एक गांव में रहते थेजब इंजमाम भारत आए तो उन्हें एक ऐसा फोन नंबर मिला, जिसका इंतजार उनका परिवार बरसों से कर रहा थापिता ने तुरंत इस नंबर पर फोन किया और फिर बरसों के अलगाव के बाद संबंधों के तार फिर जुड़ गए
पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर और कोच रहे इंजमाम उल हक के लिए हिसार के एक गांव का परिवार बहुत खास है. उनके पिता बंटवारे के बाद पाकिस्तान तो चले गए लेकिन हिसार के उस परिवार को कभी नहीं भूल पाए. और फिर इंजमाम को एक हिंदू बुआ मिलीं. जिससे उनके रिश्ते फिर जुड़ पाए.
इंजमाम उल हक और उनका परिवार आज भी उस परिवार के शुक्रगुजार हैं, जिन्होंने बंटवारे के समय ने केवल उनके पूरे परिवार की जान बचाई बल्कि उन्हें सुरक्षित सरहद पारकर मुल्तान पहुंचने में मदद की थी.
जब कुछ साल पहले इंजमाम भारत आए तो वह हरियाणा के एक युवक से मिले, जिसने उन्हें एक टेलीफोन नंबर दिया, जो उसकी मां पुष्पा गोयल का था.उस युवक ने उनसे कहा कि वह ये नंबर मुल्तान में अपने पेरेंट्स को दे दें.
इंजमाम तब हक्के बक्के रह गए
इंजमाम पहले तो हक्के बक्के रह गए कि ये युवक उन्हें अपनी मां का नंबर क्यों दे रहा है लेकिन जब उन्हें असलियत मालूम हुई तो उनकी आंखें नम हो गईं और उनका सिर उस युवक के सामने श्रृद्धा से झुक गया.
पिता ने तुरंत किया फोन
जैसे ही इंजमाम ने पुष्पा गोयल का नंबर मुल्तान में अपने पिता को भेजा. उनके पिता का फोन तुरंत पुष्पा के पास आ गया. वह अब तक उस पुष्पा को नहीं भूल पाए थे, जिनका परिवार उस समय उनका मसीहा बनकर सामने आया था, जब बंटवारे के दौरान सरहदें बंट गईं थीं और दोनों ओर के लोग एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए थ. तब पुष्पा गोयल के घर में उन्हें शरण मिली थी और वो महफूज रहे थे.
शादी में खासतौर पर पाक बुलाया
इंजमाम के पिता का परिवार तब हरियाणा के हिसार जिले में हांसी में रहता था. बाद में पुष्पा को इंजमाम की शादी में खासतौर पर बुलावा आया और उन्हें बुलाया गया. उन्होंने तब कहा था कि मेरे लिए उस शादी में जाना ऐसा ही था मानो मैं अपने परिवार के ही किसी प्रोग्राम में शरीक हो रही हूं. मेरे लिए मुल्तान की ये यात्रा हमेशा यादगार रहेगी.
हिसार के पुश्तैनी गांव जाना चाहते थे इंजमाम
इंजमाम को आज भी पाकिस्तानी क्रिकेट में मुल्तान के बड़े जेंटलमैन के तौर पर जाना जाता है. जब वह पाकिस्तानी टीम के साथ मोहाली आए तो वहां खेलते समय भावुक हो गए. उनकी आंखों से तब आंसू निकल आए जब वह टेलीविजन के सामने ये कह रहे थे कि वह हांसी जाना चाहते हैं, जहां से उनके परिवार ने 1947 में पलायन किया था. फिर उन्होंने टीवी के माध्यम से ही लोगों से पूछा कि क्या उन्हें हांसी के पीरजादा जिया उल हक के बारे में कुछ याद है.
पाकिस्तान बोर्ड ने नहीं दी अनुमति
इंजमाम अपने उस गांव भी जाना चाहते थे ताकि वहां की फोटो लेकर अपने पिता को दे सकें और पुरानी यादें ताजा कर सकें, जहां उनके पिता का बचपन गुजरा और जहां उनके दादा की बड़ी सी हवेली थी लेकिन पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने उन्हें वहां जाने की अनुमति नहीं दी. केवल वही नहीं उस दौरे में उनके कप्तान रमीज राजा भी जयपुर के पास अपने पुश्तैनी गांव जाना चाहते थे लेकिन उन्हें भी इसकी अनुमति नहीं मिली
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FIRST PUBLISHED : May 15, 2024, 20:11 IST