Search
Close this search box.

क्‍या सबसे घटिया तेल में बनते हैं बिस्‍कुट-नमकीन, चॉकलेट-केक? पाम ऑइल कितना खराब? एक्‍सपर्ट ने बताया सच

Palm Oil products: चिप्‍स-कुरकुरे, चॉकलेट, नमकीन-बिस्किट या आइसक्रीम खाना किसे नहीं पसंद, लेकिन क्‍या आपको मालूम है कि इनका ज्‍यादा सेवन नुकसानदेह है? सिर्फ नमक और शुगर की वजह से ही नहीं ये जिस तेल में फ्राई किए या पकाए जाते हैं, वह भी इनको अवॉइड किए जाने की एक वजह है. भारत में इस्‍तेमाल होने वाले 95 फीसदी से ज्‍यादा पैकेज्‍ड फूड आइटम्‍स सरसों, नारियल या ऑलिव ऑइल में नहीं बल्कि बाजार में सबसे सस्‍ते मिलने वाले पाम ऑइल में बनते हैं. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि यह पाम तेल क्‍या सचमुच दुनिया का सबसे घटिया तेल है?

हाल ही में आईसीएमआर-नेशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ न्‍यूट्रीशन की गाइडलाइंस में भी कहा गया है कि पैकेज्‍ड फूड सेहत के लिए सबसे खराब हैं. इसके पीछे इनमें इस्‍तेमाल होने वाला नमक, चीनी, प्रिजर्वेटिव्‍स और ऑइल आदि हैं. आपने शायद गौर न किया हो लेकिन फूड आइटम्‍स के पैकेटों पर भी इनमें होने वाले इंग्रीडिएंट्स लिखे होते हैं. जिन्‍हें पढ़ना जरूरी है.

ये भी पढ़ें 

गर्मी के निशाने पर देश के ये 3 बड़े शहर, 12 साल में हजारों लोगों को लील गई हीट वेव, स्‍टडी में खुलासा

पाम तेल से बढ़ता है कोलेस्‍ट्रॉल?

palm oil, palm oil side effects, palm oil ke nuksan, palm tel ke nuksan, पाम तेल

पाम तेल का ज्‍यादा सेवन नुकसानदेह है.

एंडोक्राइन सोसायटी ऑफ इंडिया के पूर्व अध्‍यक्ष और जाने माने एंडोक्राइनोलॉजिस्‍ट डॉ. संजय कालरा कहते हैं, ‘पाम तेल के बारे में ये कहा जाता है कि इससे एलडीएल कॉलेस्‍ट्रॉल या लो डेंसिटी लाइपोप्रोटीन कॉलेस्‍ट्रोल की मात्रा बढ़ती है. ये चीज हमें पता है कि एलडीएल की मात्रा बढ़ने से हार्ट की बीमारी ज्‍यादा होती है लेकिन जो रिसर्च हैं या जो सबूत हैं वे बताते हैं कि एलडीएल कोलेस्‍ट्रॉल और हार्ट डिजीज का पाम तेल के सेवन से लिंक बहुत ज्‍यादा मजबूत नहीं है.’

‘हमारा विज्ञान पहले ये मानता था कि ज्‍यादा अंडे खाने से या ज्‍यादा कोलेस्‍ट्रॉल खाने से हार्ट की बीमारी बढ़ती है, लेकिन अब हमें पता है कि जितना भी कोलेस्‍ट्रॉल हम खाते हैं, वह दिल की बीमारी पैदा करने वाले कारणों का एक छोटा सा अंश है. इसलिए यह मानना काफी मुश्किल है कि पाम तेल हार्ट डिजीज का बड़ा कारण हो सकता है.’

कुछ एक रिसर्च ये भी कहती हैं कि ज्‍यादा पाम ऑइल खाने से किडनी की बीमारी या मेल इनफर्टिलिटी होने की संभावना रहती है लेकिन ये रिसर्च भी बहुत ज्‍यादा स्‍ट्रांग नहीं हैं.

पाम तेल को लेकर ये हैं दो चीजें
डॉ. कालरा कहते हैं कि किसी भी खाद्य तेल को लेकर दो चीजें काम करती हैं, पहली है न्‍यूट्रीशनल बायोकैमिस्‍ट्री. यानि उस तेल या खाद्य की न्‍यूट्रीशनल वैल्‍यू क्‍या है. हालांकि यह नापना काफी कठिन है कि कौन सी बायोकैमिकल चीज कौन से खाने के पदार्थ के माध्‍यम से हमारी सेहत पर कितना प्रभाव डालती है.

दूसरा प्रभाव है कि पॉलिटिको-इकोनोमिक इश्‍यूज. इसके अनुसार पाम ऑइल ही नहीं कोकोनट ऑइल के इस्‍तेमाल को लेकर भी ऐसी ही एक बात प्रचलित है. कहा जाता है कि जो भी चीज गर्म जलवायु में होती है, वह खराब है और जो ठंडी जलवायु में होती है वह अच्‍छी होती है. ऐसा मानना इसलिए भी मुश्किल है क्‍योंकि 5 हजार सालों से जो लोग ट्रॉपिकल इलाकों में कोकोनट तेल या पाम ऑइल खा रहे हैं, उनकी नस्‍लें खराब हो गई हैं या खत्‍म हो गई हैं.

हालांकि भारत में पाम ऑइल इसलिए भी ज्‍यादा इस्‍तेमाल होता है क्‍योंकि यह अन्‍य तेलों के मुकाबले सस्‍ता है.

सरसों के तेल को लेकर भी है भ्रांति
आपको बता दें कि भारत में सरसों का तेल खाए बिना रहा नहीं जा सकता है लेकिन कनाडा में सरसों का तेल बैन है, वहां सरसों के तेल का इस्‍तेमाल खाना बनाने या खाने में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. कुछ एक छोटी-छोटी स्‍टडीज के आधार पर ही वहां मस्‍टर्ड ऑइल को जहरीला बताकर बैन कर रखा है जबकि केनोला ऑइल को बेहतर बताते हुए मार्केटिंग की जा रही है. अब समझने वाली बात है कि अगर सरसों का तेल खराब या पॉइजनस होता तो आधा भारत खत्‍म हो चुका होता लेकिन ऐसा तो नहीं हुआ.

पाम ऑइल को लेकर जान लें जरूरी बात
डॉ. कालरा कहते हैं कि चाहे कोई भी तेल या घी हो, हमें सभी चीजें कम मात्रा में लेनी चाहिए. विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के अनुसार एक व्‍यस्‍क व्‍यक्ति को प्रतिदिन 10 ग्राम तेल या घी जो भी मिलाकर इस्‍तेमाल करना चाहिए. इससे ज्‍यादा किसी भी तेल या घी का सेवन नुकसानदेह हो सकता है. यह सभी तेलों और घी के लिए यही मानक है. इसमें अगर एक तिहाई हमने पाम तेल ले लिया तो कोई हर्ज नहीं है. बाकी तेलों के रूप में सरसों या सोयाबीन का तेल इस्‍तेमाल कर सकते हैं.

एफएसएसएआई से है अप्रूव्‍ड
आपको बता दें कि भारत की फूड सेफ्टी एंड स्‍टेंडर्ड अथॉरिटी ने पाम ऑइल को 6 केटेगरीज में इस्‍तेमाल करने की अनुमति दी हुई है. भारत में पाम तेल, पामोलीन, पाम कार्नेल ऑइल, रिफाइंड पाम ऑइल, रिफाइंड पामोलीन और रिफाइंड पाम कार्नेल ऑइल को फूड ऑइल के रूप में इस्‍तेमाल किया जा सकता है. हालांकि इन तेलों के लिए कुछ क्‍वालिटी पैरामीटर्स और स्‍टेंडर्ड जरूर तय किए हुए हैं.

ये भी पढ़ें 

सेब पर क्‍यों लगा होता है स्‍टीकर? 99% लोग नहीं जानते सच, छिपी होती है गहरी बात, जान लेंगे तो फायदे में रहेंगे

Tags: Food, Food safety Act, Health News

Source link

Leave a Comment

और पढ़ें

  • JAPJEE FAMILY DENTAL CLINIC
  • Ai / Market My Stique Ai
  • Buzz Open / Ai Website / Ai Tool