यह एक नींद संबंधी विकार है जिसे सोम्निलोक्वी के नाम से जाना जाता है.बच्चों और टीन एजर में नींद में बात करने के लक्षण काफी देखने को मिलते हैं. बच्चों में स्लीप टॉक काफी कॉमन है जो उम्र बढ़ने के साथ घटती चली जाती है.
Sleep talking in kids reason: रागिनी को इस बात की चिंता है कि उसका 6 साल का बच्चा आजकल सोते हुए नींद में किसी से बातें करने लगता है. हालांकि उसकी बातें समझ नहीं आतीं, लेकिन अक्सर ही वह ऐसा करता है. आपको बता दें कि छोटे बच्चों में ऐसे लक्षण काफी कॉमन हैं. बच्चे ही नहीं, बड़ों में भी ये काफी कॉमन समस्या है जिसकी वजह से पास सो रहे इंसान की नींद बार-बार टूट सकती है. हालांकि दूसरी सुबह उसे नींद में बोलने की बात याद नहीं रहती. ऐसे में मन में सवाल आता है कि आखिर इसकी क्या वजह हो सकती है! हेल्थलाइन के मुताबिक, दरअसल नींद में बातें करना वास्तव में एक नींद संबंधी विकार है जिसे सोम्निलोक्वी(somniloquy) के नाम से जाना जाता है. बच्चों और टीनएजर में ये समस्या काफी देखने को मिलती है.
क्या है वजह
हेल्थलाइन के मुताबिक, स्लीप टॉकिंग जेनेटिक भी होता है. अगर आप या आपका पार्टनर नींद में बातें करता है तो हो सकता है कि बच्चे में भी यह लक्षण देखने को मिले. खासतौर पर अगर बच्चा बीमार है, किसी तरह का तनाव झेल रहा है, डिप्रेशन जैसे लक्षण उसमें दिख रहे हैं या उसे नींद न आने की समस्या है. यही नहीं, कई बार बुरा सपना देखने की वजह से भी बच्चे रात में सोते-सोते बात करने लगते हैं.
क्या करें
राइजिंग चिल्ड्रन के अनुसार, अगर आपका बच्चा रात के वक्त सोते हुए बात करता है तो इसकी वजह स्कूल में परीक्षा, किसी तरह की परेशानी, डर या स्ट्रेस हो सकता है. ऐसे में आप उस विषय पर बच्चे से दिन के वक्त बात करें और उसकी परेशानी को दूर करने का प्रयास करें. जब आप बच्चे की बेचैनी को शांत कर देंगे और उसे सपोर्ट करेंगे तो उनका तनाव कम होगा. इस तरह सोते वक्त बात करने या नींद टूटने की परेशानी भी कम हो जाएगी.
इसे भी पढ़ें :गर्मी में बच्चों को अंडे देने चाहिए या नहीं? हेल्दी रहने के लिए ऐसे दें egg, डॉक्टर ने दी जानकारी
कितना है खतरा
बच्चों में स्लीप टॉक काफी कॉमन है जो उम्र बढ़ने के साथ ही घटती चली जाती है. ऐसे में परेशान होने की बजाय बेहतर होगा कि उसके साथ सर्पोटिव व्यवहार करें. इसके अलावा, सोने से पहले बच्चे से कुछ अच्छी बात करें और बच्चे के तनाव को दूर करने का प्रयास करें.
Tags: Lifestyle, Mental diseases, Parenting tips
FIRST PUBLISHED : June 22, 2024, 11:15 IST