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क्या आपको पता है तितली के बारे में यह अनोखी बात, दो तरह के पौधों पर निर्भर रहता है इनका जीवनकाल…-Do you know this unique thing about butterfly, its lifespan depends on two types of plants…

गया : आप अपने आसपास के खेत खलिहान या बगीचे में सुन्दर तितलियों को अठखेलियां करते हुए जरूर देखा होगा. तितलियां सिर्फ देखने में ही सुंदर नहीं हैं बल्कि ये महत्वपूर्ण परागणकर्ता हैं और प्राकृतिक खाद्य श्रृंखलाओं में महत्वपूर्ण हैं. तितली का पर्यावरण में बहुत अहम योगदान है और पर्यावरण को बैलेंस करने में यह मददगार साबित होते हैं.

बिहार के गया में तितलियों के लिए एक पार्क बनाया गया है. जहां इनका संरक्षण के साथ रेयरिंग किया जाता है. यहां 85 प्रजाति के तितली देखे जा चूके हैं और इस पार्क में घूमने आने वाले पर्यटक या स्कूली छात्र इसके बारे में जानकारी इकट्ठा करते हैं.

आज हम आपको तितलियों के बारे में एक दिलचस्प कहानी बताने जा रहे हैं जो शायद ही आपको पता हो. दरअसल, तितलियां दो प्रकार के पौधों पर अपना जीवनकाल को पूरा करते हैं. यह दो प्रकार के पौधे हैं नेक्टर और होस्ट पौधे. तितलियों का पूरा जीवनकाल इन्हीं दो पौधों पर निर्भर रहता है. बोधगया स्थित जयप्रकाश उद्यान तितली पार्क स्थित बटरफ्लाई रेयरिंग लैब के असिस्टेंट जितेंद्र कुमार बताते हैं कि नेक्टर पौधा से तितली उनके फूलों से रस चूसने का काम करते हैं जबकि होस्ट पौधे इनका पोषक प्लांट होता है जिस पर मादा तितली अंडे देती है और कैटरपिलर सरवाइव करती है.

बोधगया स्थित तितली पार्क में इन तितलियों के रहने के लिए उनके अनुकूल 5000 से अधिक पेड़ पौधे लगाए गए हैं. इनमें दोनों तरह के पौधे हैं जिस पर तितलियां अपने जीवन चक्र को पूरा करती हैं. नेक्टर प्लांट में गोल्डन थ्रैलिस, लार्क डेजी, रायमुनिया, स्पाइसी जतरोफा, झिंटी, पीला भृंगराज, चांदनी जबकि होस्ट प्लांट में मधु मालती, हुक्का बेल, गुढमार, अकड बेल, अकमन, नींबू, बेल आदि है. गया के इस पार्क में 32 प्रजाति के तितलियों का रेयरिंग किया जा चुका है.

बता दें कि तितली के चार स्टेज होते हैं. अंडा, कैटरपिलर, प्यूपा और एडल्ट तितली. इनका जीवनकाल अधिकतम दो महीने का होता है लेकिन कुछ प्रजाति ऐसे होते हैं जिनका जीवनकाल 6-7 महीने का होता है. अंडा से तितली बनने में लगभग एक महीने का समय लगता है. अंडा से कैटरपिलर बनने के बाद वह जिस होस्ट पौधे पर रहते हैं उसी पौधे के पतियों को खाकर पोषण प्राप्त करते हैं. उसके बाद उनका आकार बढते ही प्यूपा स्टेज में चले जाते है जहां वह कुछ दिनो के लिए हाइबरनेशन में चले जाते हैं और अपने शरीर के अन्य अंग को विकसित कर लेते हैं. उसके बाद एडल्ट तितली का जन्म होता है जो हमारे आसपास उडते नजर आ जाते हैं.

Tags: Bihar News, Gaya news, Local18

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