कृष्णभक्त मुस्लिम कवि ने हिंदू लड़की से शादी रचाने के लिए छोड़ा अपना मुल्क, 3 देशों ने जारी किए डाक टिकट

क्या आप बता सकते हैं कि भारत का कौन ऐसा कवि है जिस पर जीते जी डाक टिकट निकला. इतना ही नहीं पाकिस्तान समेत तीन देशों ने उस कवि पर डाक टिकट निकाले हैं. नजरुल इस्लाम ऐसे कवि हैं जिन्हें यह सौभाग्य प्राप्त हुआ है.

पाकिस्तान ने 1968 में नजरुल इस्लाम के 69वें जन्मदिन पर डाक टिकट निकाला था जब नज़रुल जीवित थे. इससे उनकी लोकप्रियता का अंदाजा लगा सकते हैं. तब तक भारत में उन पर डाक टिकट नहीं निकला था जबकि 1960 में उन्हें बालकृष्ण शर्मा नवीन और शिवपूजन सहाय के साथ पदम् भूषण मिला था. हिंदी ही नहीं किसी भारतीय भाषा के लेखक पर जीते जी डाक टिकट नहीं निकला है.

बांग्लादेश ने भी बाद में उनकी पहली पुण्यतिथि पर 1977 में डाक टिकट जारी किया था. फिर उनकी जन्मशती पर भी एक डाक टिकट 1998 में निकाला. उसके एक साल बाद भारत सरकार ने उनकी जन्मशती पर 1999 में डाक टिकट जारी किया.

नजरुल इस्लाम बांग्लादेश के राष्ट्रकवि थे. जिस तरह हिंदी के कवि मैथिली शरण गुप्त को राष्ट्रकवि कहा जाता है, उस तरह उन्हें भी बांग्लादेश का राष्ट्रकवि कहा जाता है. मैथिली शरण गुप्त को तो गांधीजी ने राष्ट्रकवि की संज्ञा दी थी, लेकिन नज़रुल को तो बांग्लादेश की सरकार ने राष्ट्रकवि का दर्जा दिया था. वे अविभाजित भारत के सांस्कृतिक नवजागरण के कवि थे. टैगोर की तरह.

Kazi Nazrul Islam News, kazi nazrul islam marriage, kazi nazrul islam marriage with Pramila Devi, Kazi Nazrul Islam Birth Anniversary, Kazi Nazrul Islam stamps, Krishan Bhakt Muslim Poets, Hindu Bhajan by Muslim Poets, Kazi Nazrul Islam Poetry in Hindi, Kazi Nazrul Islam Shayari, Kazi Nazrul Islam Ki Kavita, Kazi Nazrul Islam News, Kazi Nazrul Islam Krishna Bhajans, Krishna Bhajans, Kazi Nazrul Nazms, Bengali Poet Kazi Nazrul Islam, Literature, Hindi Sahitya News, Literature in Hindi, काज़ी नज़रुल इस्लाम के कृष्ण भजन, कृष्ण भजन, हिंदी साहित्य, काज़ी नज़रुल इस्लाम की कविताएं, Islamic Poetry, Islamic Poet, Islamic Poetry in English, nazrul islam Wife Pramila Devi

24 मई, 1899 को बर्दवान जिले के चुरुलिया गांव में एक गरीब सुन्नी मुस्लिम परिवार में जन्मे नज़रुल इस्लाम की 125वीं जयंती मनाई जा रही है. उनकी जन्मशती भारत सरकार ने मनाई थी. तब अटल विहारी बाजपेयी की सरकार थी. नज़रुल हिंदी कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला के समकालीन थे. वे मदरसे में पढ़े थे पर विचारों से प्रगतिशील थे. उन्हें ब्रह्म समाज की एक हिन्दू बंगाली लड़की प्रोमिला से प्रेम हो गया और सामाजिक विरोध के बावजूद उन्होंने अपने धर्म से बाहर जाकर विवाह किया.

प्रोमिला नजरुल से करीब 9 साल छोटी थी. उनका जन्म 10 जून, 1908 में हुआ था. विवाह 25 अप्रैल, 1924 में तब उनकी उम्र 16 वर्ष के करीब थी. विवाह के बाद उन्हें बुलबुल नामक एक बेटा हुआ लेकिन 1929 में उसकी मृत्यु हो गई. इसका गहरा आघात प्रोमिला देवी पर पड़ा. बाद में उनके दो और बेटे हुए. 1939 में उन्हें कमर से नीचे लकवा मार गया जिसके इलाज के लिए 400 रुपए में नज़रुल इस्लाम ने अपनी तमाम किताबों और ग्रामोफोन रिकार्ड्स के राइट बेच दिए थे.

नज़रुल इस्लाम आजादी के सिपाही
नजरुल इस्लाम आजादी की लड़ाई के सिपाही थे. जब कांग्रेस ने देशभर में हड़ताल की घोषणा की तब वे कोमिला में थे. उन्होंने कोमिला (बांग्लादेश का एक नगर) में हड़ताल में भाग लिया और जुलूस में हिस्सा लिया. नजरुल गले में हारमोनियम लटकाए रास्ते में गीत गाते रहे. वे 1922 में फिर कोमिला आये और कुछ दिन रहे. वहीं वीरवेंद्र कुमार सेन गुप्ता की बहन प्रोमिला से उन्हें प्रेम हो गया. उन्होंने अपने इस प्रेम पर ‘विजयिनी’ नामक कविता भी लिखी जो प्रोमिला की प्रेरणा से रची गई.

चर्चित और विवादित शादी
कोमिला में रहते हुए वे बांग्ला दैनिक ‘सेवक’ का संपादन करने लगे. उनकी शादी हुई तो ब्रह्म समाज के लोगों ने बहुत विरोध किया. प्रोमिला 18 वर्ष से कम थी और इस उम्र में सिविल मैरिज नहीं हो सकती थी. प्रोमिला की मां गिरबला देवी कोमिला छोड़कर कोलकत्ता आ गईं और उन्होंने विवाह का सारा इंतजाम किया जबकि वीरवेंद्र कुमार सेनगुप्ता ने विरोध किया. हुगली के सरकारी वकील ने यह शादी करवाई. उनकी बेटी ने अपने उपन्यास में इस शादी का जिक्र किया है. इससे अनुमान लगा सकते हैं कि यह शादी कितनी चर्चित और विवादों से घिरी होगी.

विवाह के बाद प्रेमिला का नाम आशा लता रखा गया. दरअसल नज़रुल इस्लाम एक धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति थे. उनके राष्ट्रवाद में कट्टरता नहीं थी बल्कि सभी धर्मों से उन्हें प्रेम था. वे मानवतावादी व्यक्ति थे साथ ही साथ विद्रोही भी. आजादी की लड़ाई में कई बार जेल गए. कविताएं लिखीं, नाटक लिखे, उपन्यास लिखा गज़लें लिखीं. करींब चार हजार गीत लिखे. रवींद्र संगीत की तरह नज़रुल के गीत भी जनता में लोकप्रिय हैं.

प्रोमिला देवी का निधन 1962 में ही हो गया था जबकि नज़रुल 1976 तक जीवित थे. लेकिन उनका जीवन भी कष्टमय रहा बीमारी और मानसिक अस्वस्थता के कारण.

आजादी की लड़ाई में नजरुल इस्लाम पर राजद्रोह का मुकदमा चला. वे 40 दिन तक जेल में हड़ताल पर रहे और उनकी किताबें प्रतिबंधित भी की गईं. लेकिन वे झुके नहीं. देश को आजाद करने के लिए लड़ते रहे. बांग्लादेश बनने के बाद उन्हें वहां की नागरिकता प्रदान की गई लेकिन मरने के बाद उन्हें ढाका यूनिवर्सिटी में दफनाया गया. वहीं उनकी समाधि है. वे हिन्दू-मुस्लिम राजनीति के विरोधी थे. वे दाढ़ी रखने वाले मुसलमानों और चुटिया रखनेवाले पाखंडी हिंदुओं के भी विरोधी थे. नजरुल का राष्टवाद जनता की दुखों के निवारण पर टिका था.

Tags: Hindi Literature, Hindi poetry

Source link

Leave a Comment

और पढ़ें

  • JAPJEE FAMILY DENTAL CLINIC
  • Ai / Market My Stique Ai
  • Buzz Open / Ai Website / Ai Tool
08:22