किसान बिना नर्सरी के बोएं धान, रुपये बचेंगे, मेहनत लगेगी कम, उत्पादन भी जबरदस्त, नोट करें तरीका

पलामू: जून-जुलाई का महीना आते ही किसान धान की खेती की तैयारी में लग जाते हैं. पलामू के किसानों को हर साल सूखा की मार झेलनी पड़ती है, जहां जलवायु परिवर्तन के कारण किसानों की फसल को नुकसान होता है. वहीं, किसान देर से वर्षा होने पर देर से रोपनी करते हैं, जिससे उनकी फसल के उत्पादन में भी कमी आती है.

क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र चियांकी के कृषि वैज्ञानिक डॉ. अखिलेश शाह ने बताया कि किसानों को जलवायु परिवर्तन के कारण बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है. वहीं धान की रोपनी के लिए सबसे पहले नर्सरी तैयार करनी पड़ती है. बिचड़ा तैयार होने के बाद उसे दूसरे खेत में कादो कर रोपा जाता है. इसमें मेहनत और पैसा बहुत खर्च होता है. वहीं, अगर समय पर वर्षा नहीं हुई तो बिछड़ा रोपने में देर हो जाती है, जिससे फसल तैयार देर से होती है.

कम खर्च में बढ़िया फसल
ऐसे में किसान धान की सीधी बुआई कर सकते हैं. खेत में नमी होने पर गहरी जुताई कर किसान धान की सीधी बुआई कर सकते हैं. रोपण विधि में खेती करने पर किसानों को लगभग 40 हजार प्रति हेक्टेयर का खर्च लगता है. वहीं, अगर किसान धान की सीधी बुआई करें तो खर्च भी कम लगता है और मेहनत भी कम. धान की सीधी बुआई करने से किसानों का खर्च लगभग 20 से 25 हजार प्रति हेक्टेयर लगता है. वहीं, समय पर फसल तैयार होती है.

सीधी बुआई के लिए खेत को ऐसे करें तैयार
आगे बताया कि किसानों को धान की सीधी बुआई करने के लिए सबसे पहले दो बार गहरी जुताई करना जरूरी है. इसके बाद कल्टीवेटर से जुताई कर खेत को समतल कर लें. खेत में धान की सीधी बुआई करें. वहीं, सीधी बुआई में खरपतवार की सबसे ज्यादा समस्या होती है, इसके लिए किसान पेंडीमेथिलीन 3 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से खाद के साथ खेत में डाल दें, जिससे खरपतवार की समस्या से छुटकारा मिलेगा.

इन प्रभेद का करें चयन
आगे बताया कि धान की खेती के लिए कम समय में अच्छी उपज देने वाले प्रभेद का चयन करें. धान की अब कई किस्म आने लगी हैं. मुख्य रूप से बासमती और मोटे धान के प्रभेद आते हैं, जिसमें किसान पूसा सुगंध 5, पूसा बासमती 1121, पूसा बासमती 1509, सीएसआर 30, पूसा बासमती 1718 व अन्य किस्मों का चयन कर सकते हैं. वहीं, मोटे धान में पीआरएच 10, पीआर 128, अराइज़ 6129 का चयन किसान कर सकते हैं.

इतनी खाद का करें इस्तेमाल
कृषि वैज्ञानिक ने कहा कि धान बुआई से पहले खेत में खाद की मात्रा डाल लें. इसके बाद 60 से 80 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से धान की सीधी बुआई करें. इसके लिए किसान देसी हल या सीड ड्रिल की सहायता ले सकते हैं, जिससे 40 से 42 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की उपज होगी.

Tags: Agriculture, Local18, Paddy crop, Palamu news

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