किसान पिता ने दी थी सीख ‘बेटा जीवन में कुछ बड़ा करना’ तीसरे प्रयास में UPSC क्लियर कर अपूर्व बन गए IAS

दीपक कुमार/बांका : सफलता के लिए कठिन परिश्रम करना होता है. लेकिन जब वक्त और हालात आपके अनुकूल नहीं हो, तब इंसान यह तय नहीं कर पता कि उसे कौन सी दिशा में जाना है. लेकिन, बांका के एक शख्स ने अपने बुरे हालात को अपनी ताकत बनाकर सफलता की एक ऐसी मिसाल पेश की है कि अब वह कई युवाओं के लिए आदर्श बन गया है.

यह कहानी है बांका जिले के अमरपुर प्रखंड के भीखनपुर गांव निवासी ओम नारायण शर्मा के पुत्र अपूर्व आनंद की, जिन्होंने यूपीएससी में 163 वां रैंक हासिल किया है. अपूर्व ने इससे पहले आईआईटी की परीक्षा पास की, 32 लाख रुपए का पैकेज छोड़ घर आ गए थे.

यूपीएससी की परीक्षा में हासिल की 163वीं रैंक
मंगलवार को भारतीय लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने परिणाम जारी कर दिया, जिसमें अमरपुर प्रखंड के भीखनपुर गांव के रहने वाले ओमप्रकाश नारायण शर्मा के पुत्र अपूर्व आनंद ने यूपीएससी में 163 वीं रैंक हासिल की. अपूर्व ने बताया कि 2015 में ही पिता की मौत हो गई थी. उसके बाद का सफर आसान नहीं था. उन्होंने बताया कि आईआईटी कानपुर से मैथ्स एंड कंप्यूटिंग में डिग्री हासिल करने के बाद बेंगलुरु के गोल्डमैन कंपनी में 32 लाख रुपए प्रतिवर्ष के पैकेज पर काम कर रहे थे. लेकिन लॉकडाउन होने की वजह से वह घर लौट आए और उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी.

अपूर्व आनंद ने बताया कि दो बार असफल होने के बाद पिछली गलतियों को सुधारते हुए नियमित 8 से 10 घंटे तक पढ़ाई प्रारंभ कर दिया. तीसरे में प्रयास में यूपीएससी क्लीयर करने में सफलता मिली. अपूर्व की मां शबनम शर्मा ने बताया कि बड़ी बहन नुपुर शर्मा मुंबई में जॉब करती है. वहीं छोटी बहन मधु शर्मा बैंक ऑफ अमेरिका में काम करती है.

यूपीएसपी की ऑनलाइन तैयारी कर पाई सफलता
अपूर्व ने बताया कि पिता ओम नारायण शर्मा किसान रहने के बावजूद हमेशा कुछ बड़ा करने के लिए प्रेरित करते थे. पढ़ाई में कभी किसी चीज की कमी नहीं आने दी. पिता का सपना था कि कुछ बड़ा करें. पिता की मौत के बाद यह जुनून बन गया कि कुछ करना ही है. इसके बाद कड़ी मेहनत का सिलसिला शुरू हो गया.

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आईआईटियन रह चुके हैं अपूर्व आनंद
अपूर्व ने बताया कि देवघर से पढ़ाई करने के बाद आईआईटी की तैयारी करने लगे. इसमें सफलता मिली तो आईआईटी कानपुर में दाखिला मिल गया. यहां से मैथ्स एंड कम्प्यूटिंग में डिग्री हासिल करने के बाद बेंगलुरु स्थित गोल्डमैन कंपनी में 32 लाख के सालाना पैकेज पर दो साल तक काम किया. लॉकडाउन में घर लौटना पड़ा. इसके बाद यूपीएससी की तैयारी प्रारंभ कर दी.

पिता की मौत के बाद चाचा नारायण शर्मा ने काफी मदद की. 2021 से घर पर ही रहकर यूपीएससी की ऑनलाइन माध्यम से तैयारी शुरू कर दी. तीसरे प्रयास में 163वी रैंक हासिल हुई. उन्होंने बताया कि पिता हमेशा एक बात कहते थे कि आप जो भी करना चाहते हैं, उसे गंभीरता से लेकर कड़ी मेहनत करें. ऐसा करने से सफलता जरूर मिलेगी. पिता का यह मंत्र पढ़ाई के दौरान बहुत काम आया. पिता की प्रेरणा और मां के त्याग से सफलता मिली है.

Tags: Job and career, Success Story

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