पूर्णिया : केला की नई खेती और बागवानी करने के लिए जुलाई महीना बहुत अच्छा माना गया है. साथ ही इस सीजन में केले की खेती और बागवानी आसानी से की जा सकती हैं. हालाँकि इसकी खेती लगाने से पहले किसानों को ये तरीका अपनाना जरूरी होगा.
केला बाजार में हर दिन आसानी से मिल जाता हैं तो केला को धार्मिक कार्य एवं सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता हैं. ऐसे मे केला की कीमत हर दिन महंगी होती है. वहीं केला की खेती करने वाले किसानों को अच्छा मुनाफा हो जाता है.
कृषि कॉलेज के एक्सपर्ट ने बताया केला की खेती के तरीके
वही जानकारी देते हुए पूर्णिया भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय के डॉ सूरज प्रकाश कहते हैं की केला की खेती या बागवानी करना चाहते है उनके लिए जुलाई का महीना सबसे अच्छा माना गया है. हालांकि जून जुलाई में बारिश की शुरुआत होती है. ऐसे मे केला के नये बाग या खेती कर सकते हैं.
केला लगाने से पहले खेत को ऐसे करें तैयार, गड्ढे में डाले दवा
हालांकि उन्होंने कहा इसके लिए सबसे पहले खेत को अच्छी तरह से दो-तीन बार जुताई करके खरपतवार की साफ सफाई कर ले. और साथ ही साथ दो मीटर की दूरी पर पर गड्ढे बनाये जिसको आधा मीटर लंबा ,आधा मीटर चौड़ा और आधा मीटर गहरा करें. फिर इन गड्ढों मे सड़ी गोबर के खाद 10 से 15 किलो के मात्रा में हर एक गड्ढे में डालें. फिर जाकर कार्बोफ्यूरॉन नाम की दवा हर गड्ढे में 10 मिली ग्राम जरूर डालें. ताकि भविष्य में केले को मिट्टी के हर बीमारियों से बचाया जा सकें. तब जाकर इन गड्ढों मे पौधे को लगाए और मिट्टी से जड़ को पूरी तरह ढक दे.
केला के पौधे टिशू कल्चर सभी रोगों से रहता मुक्त
डॉ सूरज प्रकाश कहते हैं की किसान इधर उधर का पौधा प्रयोग कर लेते जो की बहुत गलत है आप जब भी केला लगाए तो प्रमाणित केला के पौधें टिशू कल्चर को लगाए इस पौधे को लगाने से किसान को ज्यादा मुनाफा होता है साथ ही इन पौधे मे बीमारी का भी डर नहीं रहता. ऐसे मे कृषि विश्व विद्यालय सबौर से संपर्क कर केला के पौधे आसानी से मंगवा सकते हैं. हालाँकि एक एकड़ खेत मे लगभग 1200 केला के पौधे लगाए जा सकते हैं.
ऐसे और इतने दिनों के अंतराल पर दे उर्वरक
कृषि एक्सपर्ट डॉ सूरज प्रकाश कहते हैं कि पौधा के लगाने के 10 से 15 दिन के अंतराल में केले के पौधे में नई पत्तियां आने शुरू हो जाती है.और जब आगे 10 15 दिन में पत्ते आ जाय तो इसका मतलब केला लग गया. लेकिन जब केला का एक महीना पुराना हो जाय और तीन से चार पत्ती आ जाय तो समझे पहले डोज फर्टिलाइजर का डीएपी 100 ग्राम प्रति पौधे के हिसाब से डाल दे. पहली बार हर पौधे के 365 दिन के लाइफ से 300 ग्राम नाइट्रोजन और 400 ग्राम पोटाश नाइट्रोजन को मात्रा में डालें.
पहला डोज 30 दिन के बाद दूसरा 75 दिन के बाद 75 दिन में हमें 70 ग्राम नाइट्रोजन और 70 ग्राम पोटाश डाल देंगे .और 110 दिन के बाद फिर हम 70 ग्राम यूरिया और 70 ग्राम पोटाश डाल देंगे.फिर जब हमारा 150 दिन का पौधा होगा 70 ग्राम यूरिया और 70 ग्राम पोटाश डाल देंगे .और जब यह केले का पौधा 200 दिन पूरा हो जाएगा 70 ग्राम यूरिया और 70 ग्राम पोटाश डालें. और पांचवा और लास्ट डोज 240 से 250 दिन के बीच डालते हैं जो 70 ग्राम यूरिया और 70 ग्राम पोटाश डालते हैं. इससे हमारा केला जल्दी फलता है खांदी और छिमरी भी पुष्ट होता है और वह 7 से 9 महीने में निकलना शुरू हो जाता है.
इस तरीके को अपनाकर होगा अच्छा उत्पादन
हालांकि उन्होंने कहा कि यहां पर अनुसंधान के जरिए अब केले का उत्पादन बढ़ा दिया गया हालाँकि इसके लिए किसानों को बताये गए ये तरीके अपनाने होंगे. जिससे 72 टन प्रति हेक्टेयर तक केला का उत्पादन ले सकते हैं. साथ ही साथ उन्होंने कहा कि किसान भाई डीएपी के बजाय अगर पोटाश का विशेष ध्यान रखें और केले में सिंचाई का विशेष ध्यान रखें तो निश्चित तौर पर केला का फलन ज्यादा होगा और उत्पादन भी बेहतर होगी हालांकि इस उपाय को अपनाकर किसान आसानी से केले के नये बाग की खेती कर सकते हैं जिससे उन्हें अधिक उत्पादन मिलेगा.
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FIRST PUBLISHED : June 24, 2024, 23:41 IST