और कितना ऊपर जाएगा तापमान? कब AC, कूलर और पंखा भी काम करना देगा बंद? एक्सपर्ट से जानें

नई दिल्ली. देश के 20 से ज्यादा राज्यों में इस समय प्रचंड गर्मी का प्रकोप चल रहा है. भारतीय मौसम विभाग की मानें तो दिल्ली, यूपी, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के कुछ क्षेत्रों में 29 मई तक राहत के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं. इस वक्त देश के 40 शहरों में पारा 45 डिग्री के पार चला गया है. राजस्थान के फलौदी में तो पारा 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है. ऐसे में लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. पहला, क्या हर साल तापमान ऐसे ही बढ़ता चला जाएगा?  दूसरा, कौन सी सरकारी एजेंसी हीट वेव या तापमान बढ़ने के लिए जिम्मेदार है? तीसरा, आने वाले 10 वर्षों में धरती पर क्या कुछ नया होने वाला है?

आपको बता दें कि राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के मुताबिक, देश में 16 साल पहले सिर्फ 9-10 राज्यों में ही अत्यधिक गर्मी और लू का असर देखा जाता था. ये राज्य थे बिहार, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, गुजरात के अलावा मध्य प्रदेश का उत्तर पश्चिम क्षेत्र और महाराष्ट्र का विदर्भ इलाका. लेकिन, पिछले 10-15 सालों में तापमान में 5 से 7 डिग्री की बढ़ोतरी हो गई.

तापमान क्यों बढ़ रहा है?
पिछले दिनों एनसीडीसी, भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने भारत में बढ़ते तापमान पर एक रिसर्च रिपोर्ट जारी किया. इस रिपोर्ट में जिक्र है कि देश में बीते 10 साल में लू प्रभावित राज्यों की संख्या में 35 प्रतिशत तक बढ़ा है. साल 2015 से 2024 के बीच देश में अत्यधिक गर्मी प्रभावित राज्यों की संख्या 17 से बढ़कर 23 हो गई है. खास बात यह है कि अरुणाचल प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड के नाम भी इसमें शामिल हो गए हैं.

Heat wave in india , reason for Heat wave in india , Heat wave in bihar ,

भारत में बढ़ते तापमान पर एक रिसर्च रिपोर्ट जारी हुआ है.

तापमान बढ़ने के लिए आपको ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच मॉनिटरिंग प्रोजेक्ट के नवीनतम आंकड़ों पर नजर डालना होगा. इस रिपोर्ट के अनुसार, साल 2000 के बाद से भारत में 2.33 मिलियन हेक्टेयर वृक्ष क्षेत्र कम हो गए हैं, जो इस अवधि के दौरान वृक्ष आवरण में छह प्रतिशत की कमी के बराबर है. आंकड़ों से पता चला कि 2013 से 2023 तक भारत में वृक्षों के आवरण का 95 प्रतिशत नुकसान प्राकृतिक वनों के भीतर हुआ.

क्या कहते हैं पर्यावरणविद्
वहीं, द लैंसेट में पिछले साल प्रकाशित शोध के अनुसार, ‘देश में 2000-04 और 2017-21 के बीच गर्मी से संबंधित मौतों में 55% की वृद्धि देखी गई. सबसे अधिक प्रभावित गरीब होंगे जो एयर कंडीशनिंग या बाहर काम करने का खर्च वहन नहीं कर सकते. भारत को ठंडा करने का मतलब होगा निर्माण के तरीके को बदलना. अतीत में निर्माण संरचनाओं को लोगों को उनकी स्थानीय जलवायु से बचाने के लिए डिजाइन किया गया था. कूलिंग कोई विलासिता की बात नहीं है. यह न्याय का मामला है.’

देश के जाने-माने पर्यावरणविद् गोपाल कृष्ण कहते हैं, ‘देखिए मैं अपने अध्ययन के आधार पर कह सकता हूं कि पिछले कुछ सालों में पेड़ों की कटाई अप्रत्याशित तौर पर हुई है. आप अगर देश में विकास का नाम ले लेंगे तो सबकुछ माफ हो जाता है. विकास का मतलब यह हो गया कि चारों तरफ हरा-हरा खत्म हो जाए और कंक्रीट दिखाई दे तो लगता है कि विकास हुआ है. हरियाली दिखाई देने में लोगों को विकास नजर नहीं आता है. सच्चाई यह है कि देश में या राज्यों में कोई विभाग या मंत्रालय सबसे कमजोर है तो वह है पर्यावरण मंत्रालय या विभाग. देश में पर्यावरण तहस-नहस हुआ है, उसके लिए पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और कृषि योग्य जमीन को गैरकृषि भूमि में तब्दील करना सबसे बड़ा कारण है.’

Heat wave in india , reason for Heat wave in india , Heat wave in bihar ,

राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और उत्तर प्रदेश में लू की स्थिति है. (फाइल फोटो PTI)

ये भी पढ़ें: जहां साल में एक बार ठहरते हैं भारत के राष्ट्रपति… वहां का झंडा है बहुत खास, कैसे है देश का नंबर वन?

कौन एजेंसी सबसे ज्यादा जिम्मेदार?
गोपाल कृष्ण आगे कहते हैं, ‘मैं आपको बता दूं कि अगर पर्यावरण को सबसे ज्यादा किसी एजेंसी या संस्था ने नुकसान पहुंचाया है तो उसका नाम है कैबिनेट कमेटी ऑन इकोनॉमिक अफेयर्स (Cabinet Committee on Economic Affairs). इस कमिटी में पर्यावण मंत्री क्यों नहीं है? आपको बता दें कि यह सरकार के आर्थिक मामलों पर निर्णय लेने वाली मंत्रिमण्डलीय समिति है. सरकारें या एजेंसियां तापमान बढ़ने पर चकित होने का स्वांग करती है. यही कमिटी प्राकृतिक संसाधन को मुद्रा में कन्वर्ट कर धन पैदा करती है. इसी कारण प्राकृतिक संपदा का दोहन हो रहा है और गर्मी बढ़ती जा रही है. यही हमारा सबसे कमजोर पार्ट है.’

गोपाल कृष्ण के मुताबिक, ‘पर्यावरण बचाने की जिम्मेदारी जिस मंत्रालय के पास है, वही अगर कमजोर हो तो फिर आप क्या उम्मीद कर सकते हैं? जल संसाधन मंत्रालय का भी यही हाल है. इन मंत्रालय का मुख्य काम हो गया है जलस्रोतों का दोहन करना. अंग्रेजों के शासनकाल में जो शुरू हुआ था वह अभी भी चल रहा है. जंगल की कटाई करो और फर्नीचर बनाओ और इससे धन की प्राप्ति करो. लेकिन, इसका नुकसान क्या होता है इस पर किसी सरकार ने अब तक ध्यान नहीं दिया. मैं आपको बदा दूं कि तापमान का बढ़ना हमारे समाज में या सरकार के लिए बड़ा मुद्दा नहीं है. आप नजर उठा कर देख लीजिए, जहां पर सड़कों का चौड़ीकरण और जंगलों की कटाई हुई है वहां के तापमान में तेजी आई है. देखिए, यह एक दार्शनिक समस्या है, जिसका समाधान भी दार्शनिक तरीके से ही खोजा जाना चाहिए. अगर आपके धन की परिभाषा या दर्शन यही रहेगा तो स्थिति और खराब होती जाएगी.’

Tags: Delhi Weather Update, Environment ministry, Environment news, Heat Wave

Source link

Leave a Comment

और पढ़ें

  • JAPJEE FAMILY DENTAL CLINIC
  • Ai / Market My Stique Ai
  • Buzz Open / Ai Website / Ai Tool