पलामू: आज के समय में किसान फसल में ज्यादा उत्पादन के लिए अंधाधुन रासायनिक खाद का इस्तेमाल कर रहे हैं. किसान रासायनिक खाद से मुक्ति पाने के बजाए इसका इस्तेमाल सबसे ज्यादा कर रहे हैं. इससे खेतों में कई समस्या बढ़ रही है. इसका असर लोगों के सेहत पर भी पड़ रहा है. आज के समय में सरकार की किसानों को जैविक खाद के प्रयोग करने के लिए अपील कर रही है. तो आइए इस रिपोर्ट में जानते है रासायनिक खाद्य के बजाए जैविक खाद के इस्तेमाल फायदे.
दरअसल, पलामू जिले के किसान खरीफ सीजन में धान की खेती सबसे अधिक करते है. पलामू जिले की जमीन ऊंची नीची है. जहां की उर्वरक मिट्टी रैन ऑफ होने से बह जाती है. जिसके कारण खेतो की उर्वरा शक्ति छीन जाती है. ऐसे में किसानों को खास ध्यान देने की जरूरत है. क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र चियांकी के कृषि वैज्ञानिक डॉ.प्रमोद कुमार ने बताया की किसान मिट्टी की उर्वरता और फसल में उत्पादन के लिए रासायनिक खाद का इस्तेमाल करते हैं.
जमीन के 6 इंच नीचे एक हार्ड पैन परत बन जाता
आगे बताया की रासायनिक खाद के इस्तेमाल से उत्पादन में बढ़ोतरी तो होती हीं है. मगर ये कई रूप से नुकसान पहुंचाता है. इसके इस्तेमाल से जमीन की जल धारण करने की क्षमता छीन जाती है. जमीन के 6 इंच नीचे एक हार्ड पैन परत बन जाता है. जिससे फसल के जड़ों का विकास नहीं हो पाता है. इसके अलावा तैयार फसल में वो स्वाद नहीं मिल पाता है. रासायनिक खाद के प्रयोग से उपज अनाज और फल सब्जियां सेवन करने से कई बीमारी होने लगती है.
फसल और सेहत दोनों के लिए लाभकारी
उन्होंने कहा की वहीं जैविक खाद जिसे जीवाणुओं की क्रिया से निर्मित खाद कहा जाता है. ये सेहत के लिए काफी लाभदायक है. जैविक खाद के इस्तेमाल से जमीन में जल धारण करने की क्षमता बढ़ती है. जमीन के 6 इंच नीचे हार्ड पैन नहीं बनते है. जिससे फसल की जड़ों का विकास होता है और फसल भी अच्छा उत्पादन होता है. जैविक खाद के इस्तेमाल से फसल में स्वाद आता है. ये सेहत के लिए भी लाभदायक होता है. इससे खेतों के गुणवत्ता में भी विकास होता है.
जैविक खाद के इस्तेमाल से पहले इन बातों का रखें ध्यान
उन्होंने आगे बताया की अगर किसान इस खरीफ सीजन में रासायनिक खाद के बजाय जैविक खाद का इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो खेतों में 3 साल तक जैविक खाद और कीटनाशक का प्रयोग करना जरूरी है. अगर सीधा रासायनिक खाद को छोड़कर जैविक खाद का इस्तेमाल करें, तो फसल उत्पादन में भारी कमी आयेगी. इसीलिए किसानों को सबसे पहले तीन सालों तक जैविक खाद का इस्तेमाल करें. इसके साथ इन बातों का भी ध्यान दें की किसी प्रकार की कैमिकल खेतों तक न पहुंचे. जिन खेतों में रासायनिक खाद का इस्तेमाल हो रहा है, उसमें धीरे-धीरे रासायनिक खाद की मात्रा कम करते हुए जैविक खाद के मात्रा का इस्तेमाल करें.
उन्होंने बताया की मिट्टी की उर्वरा शक्ति और जल धारण करने की क्षमता बढ़ाने के लिए जैविक खाद के रूप में गोबर खाद, केचुआ निर्मित खाद, नाडेप कम्पोस्ट, नीलहरित शैवाल, हरा खाद, बायोगैस स्लरी, पशुओं के नीचे का बिछावन, सूअर और भेड़-बकरियों की खाद, वर्मी कंपोस्ट का इस्तेमाल करें.
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FIRST PUBLISHED : May 31, 2024, 21:55 IST