एसजीपीसी की सरकार के खिलाफ कड़ी निंदा: डेरा प्रमुख को बार-बार पैरोल पर रिहाई पर सवाल

एसजीपीसी की सरकार के खिलाफ कड़ी निंदा: डेरा प्रमुख को बार-बार पैरोल पर रिहाई पर सवाल

एसजीपीसी के सदस्य गुरचरण सिंह ग्रेवाल और अकाल तख्त साहिब के हेड ग्रंथि ज्ञानी मलकीत सिंह।

डेरा सिरसा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को एक बार फिर पैरोल देने के फैसले पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने कड़ी निंदा की है। एसजीपीसी के सदस्य गुरचरण सिंह ग्रेवाल और अकाल तख्त साहिब के हेड ग्रंथि ज्ञानी मलकीत सिंह ने आरोप लगाया है कि सरकार सिख बंदियों को पैरोल नहीं दे रही, जबकि डेरा प्रमुख को बार-बार रिहा किया जा रहा है, जो कि सिखों के साथ पक्षपाती रवैया है।

सिख बंदियों के मामले में भेदभाव:

ज्ञानी मलकीत सिंह ने आरोप लगाया कि रेप के दोषी डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को बार-बार राजनीतिक लाभ के लिए पैरोल दी जा रही है, जबकि सिख बंदियों को उनकी सजा पूरी होने के बावजूद रिहाई नहीं मिल रही। उन्होंने इसे सिख समुदाय के साथ धोखा करार दिया।

राजनीतिक फायदे के लिए पैरोल:

गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने कहा कि डेरा प्रमुख को 20 साल की सजा हुई थी, लेकिन वह सिर्फ 7.5 साल बाद ही कई बार पैरोल पर बाहर आ चुका है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्यों सरकार बार-बार डेरा मुखी को राहत दे रही है।

किसान आंदोलन और फर्जी धार्मिक संस्थाओं पर भी सवाल:

एसजीपीसी के नेताओं ने किसान आंदोलन का भी जिक्र किया और कहा कि सरकार किसानों की जायज मांगों को मानने को तैयार नहीं है। वहीं, फर्जी धार्मिक संस्थाओं के प्रमुखों को बार-बार जेल से बाहर निकालने का प्रयास किया जा रहा है।

सिख समुदाय का आह्वान:

ज्ञानी मलकीत सिंह और गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने कहा कि सिख समुदाय को एकजुट होकर अपने हकों के लिए आवाज उठानी चाहिए। उनका कहना था कि सरकार डेरा प्रमुख का उपयोग वोट बैंक के लिए कर रही है और सिख समुदाय के संघर्ष को दबाने की कोशिश की जा रही है।

सिखों के खिलाफ पक्षपाती रवैया:

एसजीपीसी ने आरोप लगाया कि जो लोग गुरु ग्रंथ साहिब और सिख धर्म के खिलाफ हैं, उन्हें सरकार से पूरी छूट मिल रही है, जबकि सिखों को झूठे मामलों में फंसाकर जेलों में रखा जा रहा है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह इस पक्षपाती रवैये को बदलें और सिख बंदियों की रिहाई पर ध्यान दें।

निष्कर्ष:

एसजीपीसी का कहना है कि जब सिख समुदाय शांतिपूर्वक प्रदर्शन करता है तो उन्हें दबाने के लिए हर संभव तरीका अपनाया जाता है, लेकिन सिख धर्म के विरोधी लोग प्रचार करते हैं तो उन्हें हर तरह की सुविधाएं दी जाती हैं। सरकार से इस असमानता को खत्म करने की मांग की गई है।

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