उत्तराखंड के इस गांव में मिलेगी ” धरती पर स्वर्ग” वाली फीलिंग…हर घर में मिलेगी होम स्टे की सुविधा

पिथौरागढ़ .उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में होमस्टे का क्रेज इन दिनों काफी बड़ा है. लोग अब होटलों से दूरी बनाकर होमस्टे को ज्यादा पसंद करते हैं. कई मायनों में देखा जाए तो उत्तराखंड के सीमावर्ती इलाकों को इससे काफी मदद भी मिल रही है. जहां पर्यटन कारोबार को अब पंख लग रहे हैं.

आज हम आपको उत्तराखंड के ऐसे खूबसूरत गांव के बारे में बता रहे हैं जहां आप एक रीयल होम स्टे को फील कर सकते हैं. यह जगह धरती पर स्वर्ग कहलाती है. हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड में होम स्टे विलेज के रूप में पहचान बना चुके नाबी गांव की.

पर्यटकों की पहली पसंद बन रहा नाबी गांव
सीमांत जनपद पिथौरागढ़ जिले के नाबी गांव ने स्वरोजगार के क्षेत्र में नजीर पेश की है. मुख्यधारा से कोसों दूर बसे नाबी के ग्रामीणों ने पूरे गांव को ही होम स्टे में तब्दील कर दिया है. पारंपरिक शैली में बने इन घरों को सैलानी काफी पसंद कर रहे हैं. होमस्टे में तब्दील होने से गांव में सैलानियों का तांता लगा रहता है. साथ ही ग्रामीणों को भी घर पर ही रोजगार मिला है.

होम स्टे कारोबार से जुड़ा पूरा गांव
नाबी गांव की ग्राम प्रधान सोनम नबियाल ने बताया कि 2017 में उन्होंने होम स्टे की शुरुआत की. जिसमें आईएएस अधिकारी धिराज सिंह गर्ब्याल का सहयोग उन्हें मिला, शुरुआत में कैलाश मानसरोवर यात्री उनके गांव में रुकने लगे. सैलानियों की संख्या बढ़ी तो गांव के अन्य लोगों को भी उन्होंने होमस्टे से जोड़ा. आज सभी लोग मिल जुलकर होम स्टे की सुविधा पर्यटकों को दे रहे हैं.

यहां बनेगा इनर लाइन परमिट
ब्यास घाटी की संस्कृति, वेशभूषा, खान-पान और रहन-सहन के तौर तरीकों को नजदीक से जानने के लिये पर्यटक यहां खिंचे चले आ रहे हैं. अगर आप भी होम स्टे की तलाश में हैं और अपना वक्त शांति और खूबसूरत नजारों के साथ बिताना चाहते हैं तो नाबी गांव में आ सकते हैं. यहां आने के लिए इनर लाइन परमिट की जरूरत होती है जो एसडीएम ऑफिस धारचूला, पिथौरागढ़ से जारी होता है. जिसके बाद शुरू होता है हिमालय के करीब पहुंचने का रोमांचित कर देने वाला ये सफर.

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