संगीत शिक्षक कृष्णकांत ठाकुर बताते हैं कि वह सहरसा के मूल निवासी है. बांका में पीएचडी विभाग में ड्राइवर के पद पर कार्यरत थे. बचपन से ही संगीत का काफी शौक था खुद की कड़ी मेहनत से तबला डुग्गी, नाल , हारमोनियम सहित 12 साल उम्र में सिख चुके थे और गांव में हम उम्र को सिखाने का काम करते थे.