सहरसा. गुजरात के आणंद यानि अमूल के हब के बारे में तो हम सब जानते हैं. लेकिन बिहार के इस गांव के बारे में कम ही लोगों को पता है. यहां दूध की नदिया बहती हैं. सुबह होते ही यहां दूध की धार लगने लगती है. लोगों ने अब इस गांव का नाम ही दूध की फैक्ट्री रख दिया है. इसी नाम से इसे पुकारते हैं.
बिहार का यह गांव दूध और दही के लिए प्रसिद्ध है. गांव के ज्यादातर लोग दूध का कारोबार करते हैं. अब हम इसके बारे में विस्तार से बताते हैं. ये गांव सहरसा मानसी रेल खंड पर स्थित धमारा घाट है. यहां दूध का इतना ज्यादा उत्पादन होता है कि आस पास के 7 – 8 जिलों में सप्लाई किया जाता है. सुबह 5 बजते ही इस इलाके में दूध की धारा बहने लगती है. बड़े-बड़े भट्टी पर दूध को गर्म किया जाता है और दूध गर्म करने के बाद कारोबार से जुड़े लोग दूध लेकर दूसरे जिलों में बेचने निकल जाते हैं.
इलाके के लोग बताते हैं सदियों से इस इलाके में दूध का बड़े पैमाने पर कारोबार चलता आ रहा है. अमूमन लोग दूध का ही कारोबार करते हैं. सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, मुंगेर, खगड़िया के साथ अन्य कई जिलों में यहां से दूध जाता है. सुबह से ही दूध का कारोबार करने वाले लोग लाइन में लग जाते हैं. बड़ी-बड़ी भट्टियों पर दूध गर्म कर तैयार किया जाता है. ये कारोबार इतना फैला है कि शादी विवाह से लेकर बड़े-बड़े कार्यक्रम के लिए भी यहां दूध का ऑर्डर मिलता है.
छोटा-मोटा आणंद
स्थानीय निवासी धर्मेंद्र यादव बताते हैं इस गांव के लगभग 500 लोग दूध का कारोबार कर रहे हैं. गांव के अधिकांश लोग इसी कारोबार से जुड़े हुए हैं. इस गांव को लोग दूध का हब भी कहते हैं. बिहार में सबसे अधिक दूध का उत्पादन इसी गांव से होता है. सुबह 5:00 बजे से शाम के 6:00 बजे तक भट्टियों पर दूध तैयार किया जाता है. शुद्ध दूध और दही भी इसी गांव से जाता है. यह कारवां सुबह से शाम तक चलता रहता है.
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FIRST PUBLISHED : June 25, 2024, 14:43 IST