शशिकांत ओझा/पलामू. खेती-किसानी में सबसे ज्यादा जरूरत पानी की होती है. वहीं, पानी की बर्बादी के कारण अब भू-जल स्तर भी नीचे जा रहा है. पलामू जिला भी हमेशा से सूखा प्रभावित जिला रहा है. पानी की कमी से किसानों को हर साल नुकसान होता है. मगर, अब सरकार ऐसी योजना चला रही है, जिससे किसान खेती में पानी की खपत को कम कर सकते हैं. जरूरत के मुताबिक पानी मिलने से उत्पादन भी बढ़ेगा. आमतौर पर देखा जाता है कि फसल में जरूरत से ज्यादा पानी डाल दिया जाता है, जिससे उत्पादन प्रभावित होता है.
कृषि कार्य में पानी की अधिकता को कम करने के लिए किसान टपक सिंचाई प्रणाली को अपना सकते हैं. इससे खेतों में पानी की खपत 50% तक कम होती है. क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ. प्रमोद कुमार बताते हैं कि खेत में सिंचाई करने के लिए सबसे बेहतर यह प्रणाली है. इसे लगाने के बाद जमीन को समतल करने की जरूरत नहीं पड़ती है. पानी के साथ प्रेशर से पौधों में खाद भी दी जाती है. यह सब्जी की खेती और फलदार वृक्षों के लिए सबसे बेहतर सिंचाई विधि है. इस प्रणाली को लगाने के बाद खाद का पूरा फायदा पौधों को मिलता है. उत्पादन 20 से 25% तक बढ़ जाता है.
ऐसे लें योजना का लाभ
पलामू जिला कृषि पदाधिकारी विवेक बिरुवा ने लोकल 18 को बताया कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत इस योजना पर ड्रॉप मोर क्रॉप में किसान टपक सिंचाई प्रणाली का लाभ ले सकते हैं. इस योजना में किसानों को 90% तक का अनुदान मिलता है. एक एकड़ में इस प्रणाली को लगाने में लगभग 61,000 रुपए का खर्च आता है, जिसमें किसानों को 10% ही राशि देनी होती है. पलामू जिले में वर्ष 2023-24 में इस योजना का लक्ष्य 563 किसानों को लाभ पहुंचाना था. जिसके लिए 864 किसानों का आवेदन मिला. किसान कम से कम 25 डिसमिल और अधिक से अधिक 5 एकड़ के खेत में इसे लगा सकते हैं. इसके लिए किसानों को ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना होता है.
ऐसे करेंरजिस्ट्रेशन
आगे बताया कि किसान www.jharkhandpdmc.com पर जाकर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं. इसके लिए वेबसाइट पर जाकर फार्मर लॉग इन में जाएं. इसके बाद अपना आधार नंबर डालें. इसके बाद मोबाइल नंबर डालकर ओटीपी डालें, जिसके बाद ऑनलाइन फॉर्म भरना होता है. इस फॉर्म में दो ऑप्शन आते हैं. एक टपक सिंचाई प्रणाली और दूसरा स्प्रिंकल सिंचाई प्रणाली. दोनो में से किसी एक ऑप्शन पर क्लिक कर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं. इसके बाद उस फॉर्म का फिजिकल वेरिफिकेशन होता है. किसानों को इस योजना का लाभ मिलता है. अधिक जानकारी के लिए कृषि विभाग में संपर्क कर सकते हैं.
छींटा विधि भी कारगर
गेहूं, सरसों व अन्य फसल के लिए किसान स्प्रिंकल सिंचाई प्रणाली का प्रयोग कर सकते है. मुख्यतः ये रबी फसल के लिए बेहतर है. इसके तहत फसल को छींटा विधि से पटवन किया जाता है. इसमें किसान सामान्य से 40% तक पानी की खपत को कम कर सकते हैं. इसमें भी किसानों को 90% तक का अनुदान होता है. इस प्रणाली को एक एकड़ में लगाने कुल खर्च लगभग 56,000 रुपए आता है, जिसमें किसानों को 10% ही देना होता है.
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FIRST PUBLISHED : March 18, 2024, 19:50 IST