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अब प्लेन की इमरजेंसी लैंडिंग होगी आसान, ब्रेक पैराशूट ऐसे करेगा काम, यात्रियों का रिस्क भी होगा कम

हरिकांत शर्मा/आगरा: हवाई वितरण अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान (ADRDE) आगरा ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के आर एल वी लेएक्स -3 मिशन पुष्पक के प्रशिक्षण में ब्रेक पैराशूट का सफल परीक्षण किया है. इससे चुनौती पूर्ण और दुर्गम परिस्थितियों में कम दूरी के रनवे पर प्लेन की आसानी से लैंडिंग की जा सकेगी. इसके लिए प्लेन को ज्यादा रनवे पर दौड़ने की जरूरत नहीं होगी.

सफल रहा परीक्षण
जनसंपर्क अधिकारी प्रदीप पाल ने बताया कि परीक्षण डीआरडीओ ATR परीक्षण रेंज में किया गया. DRDE के जरिए विकसित ब्रेक पैराशूट ने आरएलवी को पूर्व निर्धारित दूरी पर रोकने में सफलता हासिल की. इन पैराशूट को मोर्टार आधारित तंत्र का उपयोग करके हवा में दागा.

तीसरा परीक्षण भी रहा सफल
ये तीसरा सफल परीक्षण है. यह उपलब्धि कक्षीय मिशन ओआरवी के लिए आगे का मार्ग खुलेगी . ADRDE के निदेशक डॉ मनोज कुमार ने ब्रेक पैराशूट टीम के सदस्यों को बधाई और शुभकामनाएं दी.

320 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक थी रफ्तार
पुष्पक का लिफ्ट-टू-ड्रग अनुपात कम होने से लैंडिंग की रफ्तार 320 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक थी. जबकि कमर्शियल प्लेन के लिए यह 260 किलोमीटर प्रति घंटे और सामान्य लड़ाकू विमान के लिए 280 प्रति किलोमीटर घंटे होती है. लैंडिंग के बाद रफ्तार कम करने के लिए पैराशूट का इस्तेमाल किया गया.

ऐसे काम करता है ब्रेक पैराशूट
ब्रेक पैराशूट हवाई जहाज के पीछे लगाया जाता है. लैंडिंग के दौरान प्लेन की रफ्तार को कम करने के लिए ब्रेक पैराशूट का इस्तेमाल होता है. जैसे ही प्लेन लैंड करता है कुछ ही सेकंड बाद प्लेन के पीछे लगा ब्रेक पैराशूट ऑटोमेटिक खुल जाता है जिसमें हवा भर जाती है. हवा का दाब होने से प्लेन की गति कम होने लगती है और प्लेन कम दूरी पर रुक जाता है.

FIRST PUBLISHED : June 26, 2024, 10:21 IST

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