करनाल: शहर में एक ऐसा आश्रम है, जहां लगभग 237 बेसहारा लोग रहते हैं. यहां पर काम करने वाले लोग असहाय, बेसहारा, मंदबुद्धि या सड़क किनारे रहने वालों का बच्चों की तरह ख्याल रखते हैं. यहां किसी घर से भी ज्यादा सुखद माहौल है. यहां का सेवा भाव लोगों को हैरान कर देता है. आज के समय में अपने सगे भी हालात बिगड़ने पर दूर कर देते हैं. लेकिन यहां के संचालक और सभी सेवादार की सेवा देख मानवता पर यकीन होने लगता है.
बहुत से छोटे बच्चे और दिमागी रूप से कमजोर बुजुर्ग व महिलाएं बिछड़ कर जब करनाल में पहुंचती हैं, तो लोग सबसे पहले आश्रम में संपर्क करते हैं. हजारों बिछड़े लोगों को आश्रम अपनों से मिलवा चुका है. कई बार दशकों से बिछड़े लोग अपने माता-पिता से जब मिले तो आंसुओं की बौछार होने लगी. अपना आशियाना, जाने कितने लोगों की जिंदगी में आशा की किरण बना हुआ है.
अच्छे से सफाई और देखभाल
यहां सबसे खास बात है कि यदि कोई परिवार या अपनों से बिछड़ जाता है या फिर कोई असहाय या जरूरतमंद की सूचना मिलती है तो आशियाना की टीम पहुंचकर उनको आश्रम लेकर आती है, जिसके बाद उनकी अच्छी देखभाल की जाती है. नए कपड़े भी पहनाए जाते हैं. वहीं, डॉक्टरों द्वारा समय-समय पर इलाज कर उनकी मानसिक स्थिति में सुधार लाया जाता है. मनोचिकित्सकों द्वारा इनकी काउंसलिंग भी कराई जाती है. कई लोग तो ऐसे होते हैं.
आशियाना आश्रम में 237 लोग
वहीं Local 18 की टीम ने ‘अपना आशियाना’ के संचालक राजकुमार अरोड़ा से बातचीत की, तो उन्होंने कहा कि बहुत बार उनके पास कई ऐसे मामले आते हैं, जहां लोग अत्यंत बीमार हो जाते हैं. शरीर पर घाव और घावों में कीड़े चल रहे होते हैं, जिन्हें तुरंत इलाज की जरूरत होती है और उन्हें यहां की टीम अस्पताल में इलाज के लिए लेकर जाती है. इस समय आश्रम में लगभग 237 लोग रहते हैं, जो या तो मानसिक तौर पर बीमार या पूर्ण रूप से मंदबुद्धि हैं. उन्हें अपने घर का पता याद नहीं होता या ऐसी गंभीर बीमार अवस्था के कारण उनके घरवाले उन्हें साथ रखना नहीं चाहते. ऐसे में अपना आशियाना की टीम उन्हें अपने साथ आश्रम में रखती है.
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FIRST PUBLISHED : April 28, 2024, 18:36 IST