नई दिल्ली: अजीत डोभाल, पीके मिश्रा, अमित खरे और तरुण कपूर… ये चार ऐसे नाम हैं, जिन पर मोदी का अटूट भरोसा है. ये चार अफसर मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में भी अहम जिम्मेदारी निभा रहे थे. इस बार भी अहम जिम्मेदारी निभाते दिखेंगे. इन चारों अफसरों की पीएम मोदी की टीम में फिर से नियुक्ति हुई है. अजीत डोभाल के जिम्मे देश की आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी रही है. इसमें देश के लिए आतंकवाद विरोधी ग्रिड की स्थापना करना और देश के खुफिया सूचना तंत्र को मजबूत करना अहम केन्द्र बिन्दु थे. अपने दोनों कार्यकाल में अजीत डोभाल ने ये जिम्मेदारी बखूबी निभाई और उनके नेतृत्व में कई बड़े ऑपरेशन को अंजाम दिया गया. यही वजह है कि मोदी ने उन पर फिर से वही भरोसा जताया है. उम्मीद की जा रही है कि इस कार्यकाल में भी कई बड़े प्रोजेक्ट लांच होंगे. भारत के जेम्स बॉन्ड के नाम से मशहूर डोभाल के नेतृत्व में कई ऑपरेशन्स को अंजाम दिया जाएगा.
पीके मिश्रा एक सीनियर ब्यूरोक्रेट्स यानी नौकरशाह रहे हैं. वह प्रधानमंत्री कार्यालय में सबसे अनुभवी अधिकारियों में से एक हैं. उनकी नियुक्ति एक बार फिर यह साबित करती है कि पीएम मोदी जिन-जिन विभागों से अपने कामकाज की रिपोर्ट लेते हैं, वह उसी गति से टाइमलाइन के भीतर उन्हें मिलती रहेंगे. इसमें गुणवत्ता का भी खास ध्यान दिया गया है. अमित खरे झारखंड कैडर के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी रहे हैं. केंद्र सरकार के कई मंत्रालय में वह सचिव के पद पर काम कर चुके हैं. प्रधानमंत्री कार्यालय में समन्वय बेहतर तरीके से हो, इसकी निगरानी उनकी टीम कर रही है. विकसित भारत संकल्प, जन धन योजना, वैकल्पिक ऊर्जा योजना जैसे भारत सरकार के प्रोजेक्ट हैं, जिसकी मॉनिटरिंग उनकी टीम कर रही है. एक बार फिर उनकी नियुक्ति मोदी सरकार के इस विजन को पूरा करने में एक अहम कदम है.
तरुण कपूर पर भी मोदी को भरोसा
तरुण कपूर भी एक बार फिर प्रधानमंत्री की टीम में अपनी वापसी करने में कामयाब रहे हैं. यह इस बात की ओर इशारा करता है कि सीनियर नौकरशाहों की काबिलियत पर मोदी को कितना भरोसा है. नए प्रोजेक्ट किस तरीके से देश के विकास में अपना योगदान करेंगे, यह जिम्मेदारी उनके कंधे पर होगी. अजीत डोभाल को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और पीके मिश्रा को प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव के रूप में 10 जून से फिर से नियुक्त किया गया है. कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने गुरुवार को इन नियुक्तियों को मंजूरी दे दी. कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय ने कहा कि पूर्व आईपीएस अजीत डोभाल और पूर्व आईएएस पीके मिश्रा की नियुक्तियां प्रधानमंत्री के कार्यकाल या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, समाप्त होंगी.
नियुक्ति के साथ ही एक्शन में डोभाल
मंत्रालय के मुताबिक, अजीत डोभाल और पीके मिश्रा को उनके कार्यकाल के दौरान वरीयता में कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जाएगा. नियुक्ति के तुरंत बाद ही अजीत डोभाल एक्शन में दिखे. उन्होंने गुरुवार को नई दिल्ली में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की. माना जा रहा है कि इस दौरान उन्होंने आगे के कोर्स ऑफ एक्शन पर चर्चा की है. यह मुलाकात इसलिए भी अहम है, क्योंकि कश्मीर में बीते कुछ समय से आतंकी हमले जारी हैं. इसके साथ ही समिति ने प्रधानमंत्री के सलाहकार के रूप में अमित खरे और तरुण कपूर की नियुक्ति को भी मंजूरी दे दी. दोनों अधिकारियों की नियुक्ति सरकार के सचिव के रैंक और वेतनमान में 10 जुलाई से दो साल की अवधि के लिए या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, के लिए होगी.
कैसा रहा है डोभाल का करियर
अजीत डोभाल को लगातार तीसरी बार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) नियुक्त किया गया है. अजीत डोभाल को पहली बार 20 मई 2014 को देश का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया गया था. तब से डोभाल ही इस पद को संभाल रहे हैं. 1968 बैच के आईपीएस अधिकारी अजीत डोभाल को कूटनीतिक सोच और काउंटर टेरेरिज्म का विशेषज्ञ माना जाता है. अजीत डोभाल 2005 में इंटेलिजेंस ब्यूरो प्रमुख के रूप में रिटायर्ड हुए थे. उन्हें 30 मई 2014 को पहली बार एनएसए के रूप में नियुक्त किया गया था. इसके बाद 31 मई, 2019 को एक बार फिर से उन्हें एनएसए के रूप में नियुक्ति मिली.
क्यों अहम है डोभाल की फिर नियुक्ति
माना जाता है कि उरी में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान स्थित आतंकियों के ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक में अजीत डोभाल की अहम भूमिका रही थी. इसके बाद पुलवामा में आतंकी हमले के बाद बालाकोट एयर स्ट्राइक में भी डोभाल ने बड़ी भूमिका निभाई थी. पाकिस्तान और चीन के साथ जिस तरह से तकरार जारी है, ऐसे में डोभाल पर फिर से भरोसा जताना किसी बड़ी बात की ओर इशारा है. दुश्मनों के घर में घुसकर कैसे ऑपरेशन को अंजाम दिया जाता है, यह डोभाल से बेहतर कौन जानात है. डोभाल पर मोदी का फिर से भरोसा यह दर्शाता है कि आने वाले समय में भारत अपने दुश्मनों से बड़ी चालाकी से निपटेगा.
पीके मिश्रा मोदी के लंबे समय के साथी
जहां तक पीके मिश्रा की बात है उन्हें 10 जून 2024 से प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव के रूप में नियुक्त किया गया. वे गुजरात कैडर के 1972 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. 2001-2004 के दौरान उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव के रूप में भी काम किया था. उन्होंने 11 सितंबर 2019 को पीएम के प्रधान सचिव का दायित्व संभाला था. उनसे पहले नृपेंद्र मिश्रा प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव थे. पूर्व आईएएस अधिकारियों अमित खरे और तरुण कपूर की नियुक्ति फिर से प्रधानमंत्री मोदी के सलाहकार के रूप में की गई है. अमित खरे झारखंड कैडर के 1985 बैच के अधिकारी हैं. इसके अलावा तरुण कपूर हिमाचल प्रदेश कैडर के 1987 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. दोनों अधिकारियों की नियुक्ति 10 जून 2024 से प्रभावी होगी. इनकी नियुक्तियां केंद्र सरकार के सचिव के पद और वेतनमान पर दो वर्ष के लिए अनुबंध के आधार पर की गई हैं. इससे पहले तरुण कपूर पूर्व पेट्रोलियम सचिव और अमित खरे सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय तथा शिक्षा मंत्रालय में सचिव के रूप में कार्य कर चुके हैं.
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FIRST PUBLISHED : June 14, 2024, 06:31 IST