हिमांशु जोशी/पिथौरागढ़. उत्तराखंड के चीन सीमा से लगे इलाके बेहद खूबसूरत है. यहां पहुंचना भले ही थोड़ा कठिन हो लेकिन जो कोई भी इन इलाकों में आया है उसने इसकी खूबसूरती का लोहा माना है. वैसे तो उत्तराखंड चीन के साथ करीब 350 किलोमीटर की सीमा साझा करता है. ये सभी इलाके हिमालय से सुसज्जित हैं. आज हम उस खूबसूरत जगह की बात कर रहे हैं, जिसे प्रकृति से बेहद खास वरदान मिला है और धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में भी यह इलाका सबसे आगे माना जाता है.
हम बात कर रहे हैं पिथौरागढ़ के चीन सीमा पर स्थित गांव गुंजी की, गुंजी पिथौरागढ़ की व्यास वैली में है. यह गांव कभी भारत चीन व्यापार की व्यापारिक मंडी भी हुआ करता था. सड़क मार्ग से जुड़ जाने के बाद यहां पर्यटकों का आना शुरू हो चुका है. यह गांव कैलाश मानसरोवर यात्रा का एक अहम पड़ाव भी है और इसी इलाके में प्रसिद्ध ओम पर्वत और आदि कैलाश है.
पर्यटकों को पसंद आती है यहां की अलग संस्कृति
गुंजी जितना प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है उतना ही यहां की संस्कृति भी लोगों को काफी पसंद आती है. 10000 फीट की ऊंचाई पर बसा यह गांव, जहां एक अलग ही सभ्यता से पर्यटक रूबरू होते हैं. यहां के लोगों ने पर्यटकों की सुविधाओं के लिए अपने घरों में ही होम स्टे की सुविधा दे रखी है. यहां आने वाले पर्यटक यहां की संस्कृति में घुलकर यहां के खान-पान और जीवन शैली का हिस्सा बन खुद को अभिभूत पाते हैं.
पर्यटकों का रखते हैं विशेष ध्यान
यहां की स्थानीय निवासी और नाबि गांव की ग्राम प्रधान सनम नबियाल जिन्होंने यहां पर्यटकों के लिए होमस्टे की व्यवस्था की शुरुआत की थी, उनका कहना है कि हम लोग पर्यटकों का व्यास वैली में स्वागत करते हैं. यहां आने वाले पर्यटकों को बिल्कुल भी एहसास नहीं होता है कि वह घर से दूर हैं.
कैसे पहुंचे गुंजी गांव
अगर आप भी भीड़भाड़ से दूर गर्मियों में एक शांत और ठंडी जगह में अपना समय बिताना चाहते हैं, तो पिथौरागढ़ की व्यास वैली में स्थित गुंजी गांव एक परफेक्ट डेस्टिनेशन बन सकता है. यहां आने के लिए नजदीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम हल्द्वानी है. जहां से टैक्सी की मदद से धारचूला पहुंच सकते है. धारचूला में एसडीएम कार्यालय से इनर लाइन परमिट बनाने के बाद आप आसानी से टैक्सी या अपनी गाड़ी से यहां पहुंच सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : April 21, 2024, 19:17 IST