नागौर. डीडवाना जिले के मौलासर के निकटवर्ती गांव बावड़ी में एक वाल्मीकि समाज की बेटी की शादी होनी थी. बेटी के पिता बालू राम बाल्मीकि की मृत्यु कोरोना में हो गई थी. बेटी की मां गांव में साफ सफाई कर अपना गुजारा चलाती है. पति की मृत्यु के बाद लगातार आर्थिक स्थिति खराब रही. माता कंचन देवी ने मजदूरी कर अपने चार बच्चों को पाल पोसकर बड़ा किया, जिसमें तीन बेटे और एक बेटी है. तीन बेटों में से दो बेटे मंद बुद्धि विकलांग हैं. बड़ी बेटी की शादी तय हुई तो मन ही मन मां को शादी में होने वाले खर्च की चिंता सताने लगी. वह इधर-उधर मदद की गुहार लगाती बावड़ी गांव के याकूब खान के पास पहुंची. खान ने इसके बारे में टीम मिशन मानवता के सदस्य राजेंद्र रेवाड़ मौलासर से कंचन देवी की बात करवाई. अपनी पीड़ा बताते हुए कंचन देवी फोन पर जोर-जोर से रोने लगी.
रेवाड़ ने उनका ढांढस बंधाया. उनसे पीड़ा पूछी तो उन्होंने कहा कल मेरी बेटी की शादी है और आज मेरे पास घर में कोई भी बंदोबस्त नहीं है. रेवाड़ ने टीम मिशन मानवता के अन्य सदस्यों को इस बात से अवगत करवाया. टीम के लोगों ने तय किया कि कंचन देवी को बहन बनाकर मायरा भरा जाएगा. सोशल मीडिया पर कंचन देवी के अकाउंट नंबर जारी कर मदद की गुहार लगाई.
मात्र 30 घंटे में तीन लाख से अधिक राशि एकत्रित हुई. बहन के घर उपहार कपड़े-मिठाई खाने पीने की सामग्री पहुंचाई. टीम मिशन मानवता के सभी साथी डीजे गाड़ियों के साथ 16 जून को शाम बावड़ी पहुंचे तथा बहन मानते हुए चुनरी ओढ़ाई और 3 लाख का आर्थिक सहयोग किया. बेटी के लिए उपहार कपड़े गहने आदि की व्यवस्था करवाई और बारात के लिए खान-पान की व्यवस्था करवाई.
FIRST PUBLISHED : June 18, 2024, 23:30 IST