गोड्डा: झारखंड की साक्षरता दर 66.41 प्रतिशत है. पर गोड्डा की बात करें यह घटकर महज 43.73 प्रतिशत रह जाती है. लेकिन गोड्डा का यह गांव इन आकड़ों को गलत साबित कर रहा है. गोड्डा जिले का मोतिया गांव जिले भर में प्रसिद्ध है. इस गांव की कई कहानियां और हास्य श्लोक बिहार और झारखंड में प्रसिद्ध है. क्योंकि यह गांव शिक्षा को लेकर भी काफ़ी जागरूक है. इस गांव की शत प्रतिशत आबादी के घर में सरकारी नौकरी है. जहां जज, आईएएस, बैंक अधिकारी, डॉक्टर, इंजीनियर, रेलवे, डाकघर, शिक्षक के अलावा हर विभाग के सरकारी पद पर लोग मौजूद हैं. इस गांव में सरकारी नौकरी करने वाले अधिकतर लोग घर से बाहर ही रहते हैं.
6000 लोगों की आबादी वाला है गांव
गांव के मुखिया अशोक चौधरी ने बताया की इस गांव की तकरीबन 70 प्रतिशत आबादी में ब्राम्हण परिवार है. जो की एक ही चौधरी परिवार के लोग है. जिसमें पूरे गांव की आबादी की बात करें तो मोतिया में 1000 घरों में तकरिबन 6000 लोगों की आबादी है. ब्राम्हण परिवार के अलावा भी गांव के अन्य वर्ग के हर घर में सरकारी नौकरी मौजूद है.
पहले बने डॉक्टर फिर आईएएस
इस गांव में 1954 में हाई स्कूल बना. जिसमें पढ़ कर पहले राधा कांत चौधरी डॉक्टर बने. इसके बाद दूसरे सुशील कुमार चौधरी आईएएस ऑफिसर बने. इसके बाद इस गांव में सरकारी नौकरी का चलन शूरू हुआ. एक दूसरे से प्रभावित होकर इस गांव में सभी सरकारी नौकरी लेते चले गए. वर्तमान में इस गांव के हिमांशु शेखर चौधरी रांची में झारखंड खाद्य आयोग के अध्यक्ष के रूप में पदस्थापित हैं.
शिक्षा के लिए यह इतने स्कूल
इस गांव में एक सरकारी मध्य विद्यालय जिसमें पहली से लेकर आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई होती है. एक सरकारी उच्च विद्यालय जिसमें 9वीं से लेकर 10वीं तक की पढ़ाई होती है. +2 हाई स्कूल है. जिसमें 11वीं और 12 वीं की पढाई होती है. इसके अलावा इस गांव में 4 आंगनबाड़ी केंद्र और एक अस्पताल मौजूद है.
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FIRST PUBLISHED : May 15, 2024, 21:23 IST