ईशा बिरोरिया/ ऋषिकेश. उत्तराखंड को देवताओं की भूमि अर्थात “देव भूमि” के नाम से जाना जाता हैं. मान्यता है कि इस भूमि पर देवताओं का वास हैं. उत्तराखंड के ऋषिकेश में भी कई सारे प्राचीन मंदिर हैं, उन्हीं में से एक है “काली कमली वाले बाबा का मंदिर”. राम झूला स्थित इस मंदिर को लोग काफी मानते हैं, और दूर-दूर से इनके दर्शन करने आते हैं. काली कमली वाले बाबा ने यात्रियों के लिए चारधाम की यात्रा को सुगम बनाने के लगातार प्रयास किए. सभी तीर्थयात्रियों को सुविधा प्रदान करने के लिए उन्होंने बाबा काली कमली वाले पंचायती क्षेत्र की स्थापना की, जो आज भी ऋषिकेश की सबसे बड़ी संस्था है.
लोकल 18 के साथ हुई बातचीत के दौरान स्वर्गाश्रम ट्रस्ट के उप प्रबंधक जयेश कुमार झा बताते हैं कि काली कमली वाले बाबा का असली नाम स्वामी श्री आत्मप्रकाश महाराज था, उन्होंने ही इस स्वर्गाश्रम ट्रस्ट का निर्माण किया, साथ ही पंचायती क्षेत्र का निर्माण करने वाले स्वामी श्री विशोदानंद महाराज को भी काली कमली वाले के नाम से जाना जाता है. इन दोनों ने ही तीर्थयत्रियों और साधु-संतों के लिए काफी विकास कार्य किए. स्वामी श्री आत्मप्रकाश महाराज द्वारा शुरु किए गए सभी विकास कार्य को यह ट्रस्ट आज भी आगे बढ़ा रहा है. इस ट्रस्ट द्वारा सभी तीर्थयात्रियों के रहने और खाने की निशुल्क व्यवस्था की जाती है, साथ ही साधु-संतों और संस्कृत विद्यालय के छात्रों को सुबह-शाम निशुल्क भोजन उपलब्ध कराया जाता है.
यात्रियों के धर्मशाला और प्याऊ का निर्माण
जयेश बताते हैं कि सालों पहले जब मोटर मार्ग की सुविधा नहीं थी, तब सभी श्रद्धालु चारधाम यात्रा पैदल किया करते थे. तब इन यात्रियों के विश्राम या खानपान के लिए कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं थी. इस समस्याओं को देखते हुए बाबा ने तीर्थयात्रियों की यात्रा सुगम बनाने के लिए जगह-जगह पर धर्मशालाओं और साथ ही पक्के रास्तों का निर्माण कराया. काली कमली वाले बाबा द्वारा इन यात्रियों के विश्राम के लिए चट्टियों का निर्माण किया गया. साथ ही धर्मशाला, प्याऊ आदि भी जगह-जगह पर बनाए गए.
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FIRST PUBLISHED : March 8, 2024, 22:57 IST