आपका बच्‍चा भी बस से जाता है स्‍कूल? पेरेंट्स तुरंत जांच लें ये 15 चीजें, सुप्रीम कोर्ट ने बनाए थे ये सेफ्टी नियम

School bus safety rules: हरियाण की महेंद्रगढ़ बस दुर्घटना में स्‍कूली बच्‍चों की मौत के बाद दिल्‍ली में भी एक प्राइवेट स्‍कूल बस के साथ हादसा हो गया, हालांकि इसमें बच्‍चे बाल-बाल बच गए. ऐसी घटनाएं पहले भी फरीदाबाद सहित अन्य कई शहरों में हो चुकी हैं, जिसके बाद जिला प्रशासन द्वारा स्कूल बसों की जांच, ड्राइवर के मेडिकल फिटनेस की जांच, मानकों की जांच आदि की गई थी. लेकिन बता दें कि सिर्फ प्रशासन ही नहीं पेरेंट्स खुद भी सेफ्टी नियमों की जांच कर सकते हैं, ताकि बच्‍चों को ऐसे हादसों से बचाया जा सके.

हरियाणा अभिभावक एकता मंच के प्रदेश अध्‍यक्ष एडवोकेट ओपी शर्मा और महासचिव कैलाश शर्मा का कहना है कि स्कूली बसों के लिए जितने भी नियम कानून बने हैं उनकी जांच नियमित होनी चाहिए लेकिन ऐसा होता नहीं है. वहीं अगर कोई जांच होती भी है तो उसमें कभी भी पेरेंट्स को शामिल नहीं किया जाता. जबकि ऐसा होना चाहिए.

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शर्मा बताते हैं कि स्‍कूली बसों के लिए भारत के सर्वोच्‍च न्‍यायालय के निर्देश हैं, जिनका पालन होना चाहिए. अगर कहीं नहीं हो रहा है तो पेरेंट्स खुद भी इसकी जांच कर सकते हैं और स्‍कूल में शिकायत दे सकते हैं.

ये हैं सेफ्टी नियम..

. स्‍कूल बस के पीछे और आगे “स्कूल बस” अवश्य लिखा होना चाहिए.
. अगर यह किराए की बस है, तो “स्कूल ड्यूटी पर” स्पष्ट रूप से दर्शाया जाना चाहिए.
. बस में फर्स्ट-एड-बॉक्स जरूर होना चाहिए.
. बस की खिड़कियों में क्षैतिज ग्रिल लगी होनी चाहिए.
. बस में अग्निशामक यंत्र अवश्य होना चाहिए.
. बस पर स्कूल का नाम और टेलीफोन नंबर जरूर लिखा होना चाहिए.
. बस के दरवाजों पर विश्वसनीय ताले लगे होने चाहिए.
. स्कूल बैग को सुरक्षित रखने के लिए सीटों के नीचे जगह होनी चाहिए.
. बस में स्कूल का एक अटेंडेंट होना चाहिए. स्कूल कैब में स्पीड गवर्नर लगे होने चाहिए और अधिकतम गति सीमा 40 किलोमीटर प्रति घंटा होनी चाहिए.
. स्कूल कैब की बॉडी हाईवे पीले रंग की होनी चाहिए और वाहन के चारों ओर बीच में 150 मिमी चौड़ाई की हरे रंग की क्षैतिज पट्टी होनी चाहिए और वाहन के चारों तरफ ‘स्कूल कैब’ शब्द प्रमुखता से प्रदर्शित होना चाहिए.
. अगर स्कूली बच्चों की उम्र 12 वर्ष से कम है, तो ले जाने वाले बच्चों की संख्या अनुमानित बैठने की क्षमता से डेढ़ गुना से अधिक नहीं होगी. 12 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को एक व्यक्ति माना जाएगा.
. स्कूल कैब के ड्राइवर के पास कम से कम चार साल की अवधि के लिए एलएमवी-ट्रांसपोर्ट वाहन चलाने का वैध लाइसेंस होना चाहिए और अनिवार्य रूप से हल्के नीले रंग की शर्ट, हल्के नीले रंग की पतलून और काले जूते पहनना चाहिए. उसका नाम आईडी शर्ट पर प्रदर्शित किया जाना चाहिए.
. वाहन के अंदर स्कूल बैग रखने के लिए पर्याप्त जगह होनी चाहिए और बैग को वाहन के बाहर नहीं लटकाया जाना चाहिए या छत के कैरियर पर नहीं रखा जाना चाहिए.
. बस चालक को स्कूल कैब में ले जाए जाने वाले बच्चों की पूरी सूची रखनी होगी, जिसमें नाम, कक्षा, आवासीय पता, रक्त समूह और रुकने के बिंदु, रूट योजना आदि का उल्लेख होना चाहिए.
. किंडरगार्टन के मामले में, अगर स्कूल और माता-पिता द्वारा पारस्परिक रूप से मान्यता प्राप्त कोई अधिकृत व्यक्ति बच्चे को रुकने वाले स्थानों से लेने नहीं आता है, तो बच्चे को स्कूल में वापस ले जाया जाएगा और उनके माता-पिता को बुलाया जाएगा.

अभिभावक मंच का कहना है कि प्राइवेट स्कूलों के लिए ऐसा नियम तुरंत बनाना चाहिए कि स्कूल प्रबंधन अपनी स्कूल की बसों की फिटनेस रिपोर्ट, प्रत्येक रूट की बस के ड्राइवर का नाम, उसका लाइसेंस, उसकी मेडिकल रिपोर्ट, बस में छात्रों की सीट संख्या, स्कूल बसों के लिए कौन-कौन से नियम बना रखे हैं, स्कूल प्रबंधक इन सबकी जानकारी स्कूल की वेबसाइट पर डालें और उसको नोटिस बोर्ड पर भी लगाएं. इसके अलावा इन सबकी जानकारी का एक पेपर PTM में प्रत्येक पेरेंट्स को दें यानि पेरेंट्स को यह जानने का अधिकार होना चाहिए कि जिस बस में वह अपने बच्चों को भेज रहा है स्कूल संचालक व उसकी बस उन सभी नियम कानून व मानकों को पूरा कर रही है या नहीं जो बच्चों की सुरक्षा के लिए सरकार ने बना रखे हैं.

Tags: School Bus, School bus accident, School bus fire, Supreme court of india

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