हिमाचल प्रदेश बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (HPBOSE) ने कक्षा 10वीं के परिणाम जारी कर दिए हैं. इस साल सिर्फ 60.79 प्रतिशत बच्चे पास हुए हैं. बाकी करीब 39 फीसदी फेल हो गए हैं. करियर काउंसलर अंबादत्त भट्ट ने सलाह दी है कि फेल बच्चों को उनके माता-पिता ताने मारने और तनाव देने की बजाय उनके साथ खड़े हों. बोलें कि जो होना था वो हो गया. हम तुम्हारे साथ हैं. ऐसा करने से वो न सिर्फ कोई घातक कदम उठाने से बचेगा बल्कि बेहतर करने की कोशिश करेगा.
तेलंगाना में 12वीं का रिजल्ट आने के बाद 21 बच्चे आत्महत्या कर चुके हैं. यूपी बोर्ड की 12वीं की परीक्षा परिणाम आने के बाद अलीगढ़ में एक लड़की ने आत्महत्या कर ली. वो दो विषय में फेल हो गई थी. कुछ इसी तरह पिछले बरस मध्यप्रदेश में रिजल्ट आने के एक सप्ताह के भीतर 10 से अधिक बच्चों ने ‘आत्महत्या’ का रास्ता चुन लिया था. फेल बच्चे ऐसा कोई कदम न उठाएं इसलिए उन्हें आपका साथ चाहिए. अगर आपका कोई अपना, पड़ोसी या रिश्तेदार का कोई बच्चा फेल हो गया है तो उसे यह कहने से बचें कि तू इसी लायक था. तेरे से और उम्मीद ही क्या की जा सकती थी. तूने मां-बाप का नाम डुबो दिया.
सांकेतिक तस्वीर
अंबादत्त भट्ट बताते हैं कि उनकी नई दिशाएं हेल्पलाइन पर लगभग 70 फीसदी माता-पिता ही फोन करके पूछते हैं कि मेरे बच्चे का नंबर कैसे बढ़ेगा. उन्होंने अपने बच्चों के रिजल्ट को अपनी प्रतिष्ठा का विषय बनाया है. वे उन्हें अनजाने में अपने बच्चों को ऐसा तनाव देते हैं जिसके चलते बच्चे दबाव में गलत कदम उठा लेते हैं.
करीब एक दशक से बच्चों की काउंसिलिंग कर रहे भट्ट कहते हैं, ‘बच्चों का पास होना तो बहुत आसान है, बस टेक्निक पता होनी चाहिए. हम उनकी पढ़ाई आसान करने की जगह दूसरी ओर ध्यान देते हैं. हमारा सेलेबस ऐसा नहीं है कि 50-55 परसेंट नंबर न आए. इसलिए सहज भाव रखें. इस बात का ख्याल रखें कि आपके बच्चे की जिंदगी नंबरों से बहुत बड़ी है.
अपने अनुभव शेयर करते हुए भट्ट ने बताया, ‘अक्सर मां-बाप कहते हैं कि मेरे बेटा-बेटी दिन रात मेहनत करते हैं फिर भी या तो फेल हो जाते हैं या फिर नंबर बहुत कम आता है.’ मानो बच्चे नहीं मां-बाप की परीक्षा हुई हो. हम उन्हें सुनते हैं फिर बच्चों से बात करते हैं. उन्हें ट्रिक बताते हैं कि पढ़ाई सहजता से कैसे बहुत अच्छी हो सकती है. इससे कई बच्चे बिना तनाव लिए टैली में काफी ऊपर पहुंच गए.
काउंसलर अंजू दुआ जैमिनी कहती हैं कि फेल बच्चों को माता-पिता अपने साथ रखें. नंबर खराब आए हों या बच्चा फेल हो गया हो तो उसे किसी भी सूरत में अकेला न होने दें. गुमशुम न होने दें. उससे बोलें कि ये तुम्हारी जिंदगी का सिर्फ एक चैप्टर भर है. ये न बोलें कि हमेशा मोबाइल में लगा रहता है तुझे तो फेल होना ही था. ऐसा कहने से उनका तनाव और बढ़ेगा. उसे फिल्म दिखाने या खाना खिलाने ले जाएं. बताएं कि कौन-कौन ऐसे लोग हैं जिन्होंने बहुत कम पढ़ाई-लिखाई की फिर भी उन्होंने जिंदगी में बड़ा मुकाम हासिल किया. ऐसा करने से उसका तनाव घटेगा.
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FIRST PUBLISHED : April 29, 2019, 13:39 IST