पिथौरागढ़ /हिमांशु जोशी: दुनिया की सबसे खूबसूरत जगहों में शामिल पिथौरागढ़ की चार घाटियों दारमा, चौदास, मिलन और व्यास के कई गांवों में अभी तक बिजली नहीं पहुंच पाई है. ये हिमालयी घाटियां लोगों को खूब पसंद आती हैं. लेकिन, यह दिन में जितनी खूबसूरत दिखती हैं तो वहीं रात आज भी काली ही है.
यूपीसीएल अभी तक यहां बिजली पहुंचाने में नाकाम ही रहा है. यहां के लोग सिर्फ सोलर ऊर्जा पर ही निर्भर हैं. लेकिन, मौसम खराब होने पर या सोलर सिस्टम के बिगड़ जाने पर कोई अन्य विकल्प यहां के लोगों के पास नहीं है. कई बार स्थानीय लोगों के साथ पर्यटकों को भी यहां रात अंधेरे में ही गुजारनी पड़ती है.
वाइब्रेंट विलेज योजना से पहुंचेगी बिजली
अब चीन बॉर्डर से लगी इन हिमालयी घाटियों को केंद्र सरकार ने वाइब्रेंट विलेज योजना के अंदर रखा है. इसके बाद अब बॉर्डर से लगे यह इलाके बिजली से गुलजार हो सकेंगे. यहां स्थानीय लोगों के साथ भी आईटीबीपी की तमाम चेक पोस्ट हैं. वहां भी सोलर ऊर्जा का ही प्रयोग किया जाता है. अब यूपीसीएल जल्दी ही पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की मदद से इन गांवों को बिजली से जोड़ने वाला है.
189 करोड़ का तैयार हुआ डीपीआर
बिजली विभाग के अधीक्षण अभियंता राजेंद्र सिंह गुंज्याल ने बताया कि पीसीएफ के सीजीएम के साथ पहुंची दो लोगों की टीम ने दुर्गम क्षेत्रों में एवलांच और भूस्खलन वाले क्षेत्रों का अध्ययन किया है. टीम सर्वे की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगी. उन्होंने बताया कि यूपीसीएल ने वाइब्रेंट घोषित गांव और बीओपी में ग्रिड की बिजली पहुंचाने के लिए 189 करोड़ रुपये का डीपीआर तैयार किया है, जिसमें जल्द से जल्द काम शुरू होने की उम्मीद उन्होंने जताई है.
ये गांव हैं शामिल
यूपीसीएल की ओर से 17 वाइब्रेंट विलेज डीपीआर में चयनित किए गए थे. इनमें से व्यास और दारमा घाटी के नपलच्यू, नाबी, कुटी, गुंजी, गर्ब्यांग, सेला, बालिंग, तिदांग बिजली से रोशन होंगे. इनके अलावा व्यास घाटी में स्थित आईटीबीपी की बीओपी गुंजी, गर्ब्यांग, छियालेख, कुटी, ज्योलिंगकांग, विल्सा, कालापानी, नाभीढांग. दारमा में तिदांग या ढाकर, बेदांग या दाबे, जोहार वैली में बुगडियार, रिलकोट, मिलम और दुंग का सर्वे किया गया है.
अभी भी नहीं हैं मूलभूत सुविधाएं
21वीं सदी में भी यहां का हिमालयी घाटियों का जीवन अभी भी आदम युग जैसा ही है. न इस क्षेत्र में अभी तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंच पाई हैं और न ही बिजली. संचार से ये इलाके अभी तक जुड़े हैं, जिससे यहां का जीवन दिखने में जितना खूबसूरत है. हकीकत में यहां रहना किसी संघर्ष से कम नहीं है.
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FIRST PUBLISHED : May 30, 2024, 10:56 IST